बीजिंग/धर्मशाला । चीन ने हाल ही में तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा से संपर्क किया। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, दलाई लामा ने करीब 1 हफ्ते पहले बताया कि चीनी नेताओं ने उनसे कॉन्टैक्ट किया था। हालांकि, उन्होंने ये नहीं बताया कि ऐसा कब हुआ और उनकी चीन से क्या बातचीत हुई। दलाई लामा ने कहा कि वो हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं।
दलाई लामा ने भारत में रहकर तिब्बत की एक सरकार बनाई थी। इसे तिब्बत गवर्नमेंट इन एक्जाइल कहा जाता है। हाल ही में इस सरकार की मंत्री नॉर्जिन डोल्मा जापान की यात्रा पर गई थीं। वहां उन्होंने इस बात की पुष्टि की थी चीन अनौपचारिक तौर पर बैकडोर से दलाई लामा से बातचीत कर रहा है और ये बहुत जरूरी भी है। दलाई लामा अपने रहते हुए तिब्बत की समस्या का जो भी समाधान निकालेंगे उस पर हम सभी लोग सहमत होंगे। इससे पहले अपने जन्मदिन के मौके पर दलाई लामा ने कहा था- चीन अब बदल रहा है और मैं उनसे बातचीत के लिए तैयार हूं। तिब्बत की समस्या के हल के लिए जो मुझसे मिलना चाहते हैं वो आ सकते हैं। हम पूर्ण आजादी नहीं चाहते हैं। कई साल पहले हमने फैसला किया था कि हम चीन का हिस्सा बने रहेंगे। अब चीन को भी एहसास हो गया है कि तिब्बती लोगों की भावना बहुत मजबूत है। इसलिए अब वो उनसे डील करने के लिए मेरे पास आ रहे हैं।
ये चीन-तिब्बत के लिए बातचीत का सही वक्त
चीन में एथनिक पॉलिटिक्स के एक्सपर्ट बैरी सॉटमैन ने पूरे मामले पर कहा- दलाई लामा अपनी उम्र की वजह से अब अलग-अलग देशों की यात्राएं नहीं कर सकते हैं। ऐसे में दोनों पक्षों के लिए ही बातचीत करना जरूरी हो गया है। तिब्बती सरकार के लिए दलाई लामा उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें पहचान दिलाते हैं। वहीं बीजिंग के लिए ये सही वक्त है क्योंकि अभी दूसरे वैश्विक मुद्दों के चलते ज्यादातर देशों का ध्यान तिब्बत से हट गया है। तिब्बत काफी समय से पश्चिमी देशों के एजेंडे में नहीं है। एक्सपर्ट के मुताबिक, चीन ये जानता है कि पश्चिमी देश तिब्बत के लिए जो कर रहे हैं उसका एक बड़ा कारण दलाई लामा हैं। ऐसे में आने वाले समय में तिब्बत में उनका दखल कम हो सकता है। सॉटमैन ने कहा- अगर चीन अपने पक्ष में नेगोसिएशन चाहता है तो ये उसके लिए दबाव बनाने का सही समय है।
खुद अगला दलाई लामा चुनना चाहता है चीन
चीन से तनाव के बीच मार्च 1959 में दलाई लामा सैनिक के वेश में तिब्बत से भागकर भारत आ गए थे। वे पिछले 64 साल से हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रह रहे हैं। चीन लगातार उन्हें अलगाववादी और तिब्बत के लिए खतरा बताता रहा है। 2011 में चीन के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की थी कि वो सिर्फ उसी दलाई लामा और पंचेन लामा को मान्यता देंगे जिसे चीन की सरकार अप्रूव करेगी। हालांकि, दलाई लामा ने कहा था कि तिब्बत को अगला धर्मगुरु भारत में भी मिल सकता है। 2002 से 2010 तक, दलाई लामा के प्रतिनिधियों और चीनी सरकार ने नौ दौर की बातचीत की, जिससे कुछ परिणाम भी निकले। हालांकि, उसके बाद से दोनों पक्षों के बीच कोई ऑफिशियल मीटिंग नहीं हुई है।