भोपाल । मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ उज्जैन में भगवान महाकालेश्वर की सावन-भादौ में सोमवार को निकलने वाली सवारी में शामिल होंगे। इस पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि सवाल यह नहीं है कि वह जाएंगे। सवाल यह है कि अब क्यों? यह लोग चुनावी हिंदू हैं। जनता को सब पता है। काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती।
नियमित प्रेस ब्रीफिंग में नरोत्तम मिश्रा से पूछा गया था कि कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में धीरेंद्र शास्त्री की कथा कराई। सितंबर में वहां पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा होगी। अब सोमवार को वे महाकालेश्वर की सवारी में शामिल होने वाले हैं। इस पर मिश्रा बोले- सवाल यह नहीं है कि वह शामिल होंगे, सवाल यह है कि अब क्यों? यह मूल प्रश्न है। इसका कांग्रेस में कोई जवाब नहीं दे रहा है। महाकाल की सवारी तो आदिकाल से निकल रही है। मेरे पूर्वजों के पहले से निकल रही है। अभी तक क्यों नहीं गए? वह मध्य प्रदेश में लंबा समय सांसद रहे। मुख्यमंत्री भी रहे। केंद्रीय मंत्री रहे। अब तक क्यों नहीं गए? इनकी कांग्रेस पर संकट है। कांग्रेस को बचाने के लिए अब यह छद्म धर्मनिरपेक्षता वाले चुनावी हिंदू हैं। लोगों में भ्रम फैला रहे हैं। लेकिन, काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती।
कांग्रेस चुनावों से पहले सॉफ्ट हिंदुत्व पर काम कर रही है। कमलनाथ के साथ-साथ पार्टी भी धर्म चौपाल का आयोजन कर रही है। जिले के दफ्तरों में हनुमान चालीसा का पाठ करवा रहे हैं। इस पर मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस यह पॉलिटिकल पाखंड कर रही है। इसे जनता समझती है। यह चुनाव के वक्त क्यों करा रहे हैं?
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ 14 अगस्त को शिव भक्ति में रमे नजर आएंगे। कमलनाथ सोमवार दोपहर साढ़े तीन बजे भोपाल से निकलेंगे। सवा चार बजे हेलिपेड पर उतरकर शिप्रा नदी के रामघाट पर पहुंचेंगे। वहां एक घंटा रुककर सवारी पूजन में शामिल होंगे। फिर शाम साढ़े पांच बजे फिर भोपाल रवाना होंगे। इससे पहले कमलनाथ ने 19 अगस्त 2019 को मुख्यमंत्री रहते हुए महाकाल की पांचवीं सवारी में पूजन किया था। कमलनाथ ने उस दौरान मंदिर के सभा मंडप में पूजन-अभिषेक कर पालकी को कंधा भी दिया था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तीसरे सोमवार यानी 24 जुलाई को महाकाल की सवारी में शामिल हुए थे। वह पूरे परिवार के साथ उज्जैन पहुंचे थे। उन्होंने सभा मंडप में भगवान का पूजन किया था। फिर पालकी को कंधा देकर भ्रमण पर निकले थे। पूरे सवारी मार्ग पर भजन-कीर्तन करते हुए शिवराज शिप्रा तक गए थे। शिवराज ने सपरिवार सवारी में सम्मिलित होकर जनता का अभिवादन स्वीकार किया था। कभी झांझ बजाते तो कभी श्री महाकालेश्वर भगवान का ध्वज लिए पालकी के आगे चल रहे थे।