भोपाल ।   मध्य प्रदेश में चुनाव संपन्न होने के साथ ही 16वीं विधानसभा का गठन हो गया है और अब प्रोटेम स्पीकर (सामयिक अध्यक्ष) की तलाश की जा रही है। इस बीच 16वीं विधानसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य गोपाल भार्गव का नाम सामने आया है। राजनीतिक जानकारों की माने तो भार्गव की वरिष्ठता को देखते हुए उन्हें सामयिक अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वे लगातार नौवीं बार एक ही विधानसभा क्षेत्र रहली से चुनकर आए हैं। नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री द्वारा राज्यपाल को सामयिक अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। चूंकि, भार्गव सबसे वरिष्ठ हैं, इसलिए उन्हें अन्य सदस्यों को शपथ दिलाने का दायित्व दिया जा सकता है। सदन में शपथ दिलाने वाले सामयिक अध्यक्षों की बात की जाए तो सके इसके पहले भी वरिष्ठता को ही प्राथमिकता दी गई है।

वर्ष 1998 के चुनाव के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्व. श्रीनिवास तिवारी और उनके बाद कृष्णपाल सिंह को सामयिक अध्यक्ष बनाया गया था। वर्ष 2003 और वर्ष 2009 में जमुना देवी को सामयिक अध्यक्ष बनाया गया। विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी के निधन के बाद वर्ष 2013 के चुनाव तक के लिए ज्ञान सिंह को सामयिक अध्यक्ष बनाया गया था। ज्ञान सिंह पांच नवंबर से 21 दिसंबर, 2013 तक सामयिक अध्यक्ष बने रहे। चुनाव परिणाम के बाद केडी देशमुख सामयिक अध्यक्ष बनाए गए थे। ये सभी सदन के वरिष्ठतम सदस्य थे। वर्ष 2018 में कांग्रेस की सरकार में दीपक सक्सेना को और 2020 में उप चुनाव के बाद भाजपा की सरकार में जगदीश देवड़ा को सामयिक अध्यक्ष बनाया गया था, बाद में इन्हें बदलकर रामेश्वर शर्मा को सामयिक अध्यक्ष बनाया गया। रामेश्वर शर्मा 15वीं विधानसभा में सबसे लंबे समय तक सामयिक अध्यक्ष बने रहे वाले विधायक हैं।