हैदराबाद। 2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ एक सीट मिली थी। फिर उप चुनाव हुए और दो सीटों पर भाजपा जीत गई। उसे लगा कि तेलंगाना में कमल खिलने का पूरा मौका है। इसी सोच के साथ 2023 के विधानसभा चुनाव में 119 में से 111 सीटों पर चुनाव लड़ लिया। संयोग से 8 सीटों पर सफलता भी मिल गई। अब भाजपा का लगता है कि तेलंगाना का ताज उससे दूर नहीं है। क्योंकि सीटें और वोट प्रतिशत में बढोत्तरी हुई है इसलिए पार्टी ने निर्णय लिया है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अकेले ही ताल ठोकेगी।
तेलंगाना भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने शुक्रवार को पार्टी कार्यकर्ताओं से अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने साफ किया कि भाजपा किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी। भाजपा नेता आगामी लोकसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन बेहतर करने को लेकर आश्वस्त हैं। उनका मानना है कि मोदी फैक्टर के कारण लोकसभा में वोटिंग पैटर्न अलग होगा। लोकसभा चुनाव की तैयारियों के तहत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा दिसंबर के अंत में तेलंगाना का दौरा करेंगे। किशन रेड्डी ने पार्टी पदाधिकारियों, जिला अध्यक्ष और लोकसभा क्षेत्रों के प्रभारियों के साथ बैठक की। उन्होंने और तेलंगाना के प्रभारी भाजपा महासचिव तरुण चुघ ने बैठक को संबोधित किया और पार्टी नेताओं को चुनाव के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया। उनसे आज से शुरू हो रहे विकसित भारत अभियान के तहत केंद्र की भाजपा नीत सरकार द्वारा लागू की जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए कहा गया। किशन रेड्डी ने दावा किया कि भाजपा के पास तेलंगाना में बढ़ने के बड़े अवसर हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि नतीजे चुनाव सर्वेक्षणों के अनुमान से अधिक होंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) दोनों से लड़ेगी।
गत 30 नवंबर को हुए तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अभिनेता-राजनेता बने पवन कल्याण की जन सेना पार्टी (जेएसपी) के साथ गठबंधन किया था। जेएसपी ने आठ सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन उसे कोई सीट नहीं मिली। राज्य की कुल 119 में से 111 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा को आठ सीटें मिलीं। भगवा पार्टी को 2018 के चुनाव में सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी। बाद में उपचुनावों में दो सीटें जीतने के बाद इसकी संख्या में सुधार हुआ और यह तीन हो गई। भाजपा अपना वोट शेयर भी 2018 के 6.98 प्रतिशत से दोगुना कर लगभग 14 प्रतिशत करने में सफल रही। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में उसका वोट शेयर कम हुआ है। भाजपा को 2019 में 19.45 प्रतिशत वोट मिले थे और राज्य की 17 लोकसभा सीटों में से चार पर जीत हासिल की थी। उसने अकेले चुनाव लड़ा था और यह दो दशकों में पार्टी द्वारा जीती गई सीटों की सबसे अधिक संख्या थी। संयुक्त आंध्र प्रदेश में भाजपा को 1998 में चार सीटें और 1999 में सात सीटें मिलीं। 2004 और 2009 में इसका प्रदर्शन शून्य रहा। 2014 में, भाजपा ने एक सीट जीती थी, जब बंडारू दत्तात्रेय ने सिकंदराबाद से विजयी रहे थे। पिछले लोकसभा चुनावों में प्रभावशाली प्रदर्शन के साथ, भाजपा ने न केवल सिकंदराबाद सीट पर कब्जा बरकरार रखा, बल्कि निज़ामाबाद, करीमनगर और आदिलाबाद में भी जीत हासिल की।
हाल के विधानसभा चुनाव में, भाजपा ने छह सीटें जीतीं जो आदिलाबाद और निज़ामाबाद लोकसभा क्षेत्रों में आती हैं। हालांकि, विधानसभा चुनाव में पार्टी के तीनों सांसदों को हार का सामना करना पड़ा। आदिलाबाद के सांसद सोयम बापू राव बोथ विधानसभा सीट हार गए। निज़ामाबाद धर्मपुरी अरविंद को भी कोरात्ला निर्वाचन क्षेत्र में हार का सामना करना पड़ा। भाजपा महासचिव और करीमनगर सांसद करीमनगर विधानसभा सीट जीतने में नाकाम रहे। करीमनगर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में भी भाजपा को कोई सीट नहीं मिली। भगवा पार्टी किशन रेड्डी के सिकंदराबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली एक भी विधानसभा सीट जीतने में विफल रही।