फाल्गुन पूर्णिमा कब है? पितरों को प्रसन्न करने जरूर करें ये उपाय; खुशियों से भर जाएगी झोली
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास में पड़ने वाली अमावस्या का काफी महत्व है. इसे फाल्गुन अमावस्या कहा जाता है. इस साल फाल्गुन अमावस्या 10 मार्च को पड़ रही है. इस दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध करना काफी शुभ माना जाता है. यह तिथि भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित है. इस अवसर पर पितरों की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है. इसके अलावा गंगा स्नान और दान करने का भी विधान है. मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वजों की कृपा से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.
अमावस्या पर जरूर करें ये काम
उज्जैन के पंडित आनंद ने जानकारी देते हुए बताया कि पितरों की शांति के लिए फाल्गुन अमावस्या की सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें. यदि ऐसा संभव ना हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी का जल मिलाकर स्नान करें. फिर साफ कपड़े पहनकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें. पूजा के बाद गरीब-जरूरतमंदों को दान करें. पितृ दोष निवारण के अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण, दान करें. अगर फाल्गुन अमावस्या के दिन ऐसा करते हैं तो पितृ प्रसन्न होते हैं और घर में सुख समृद्धि के साथ अपना आशीर्वाद देते हैं.
फाल्गुन अमावस्या का महत्व
फाल्गुन अमावस्या के दिन लोग श्रद्धा और भक्ति से देश की पवित्र नदियों में डुबकी लगाने पहुंचते हैं. इस दिन पितरों के तर्पण और दान का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि फाल्गुन अमावस्या को स्नान-दान से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सांसारिक कष्टों से छुटकारा मिल जाती है.
अमावस्या के दिन इन कार्यों से बचें
मान्यताओं के अनुसार इस दिन क्रोध करने, लड़ाई-झगड़ा करने, नए कपड़े खरीदें और पहनें, झाड़ू आदि खरीदने से बचना चाहिए. इसके अलावा इस दिन शुभ कार्य करने से बचना चाहिए.
फाल्गुन अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 9 मार्च (शनिवार) शाम 06:17 PM से शुरू.
अमावस्या तिथि समाप्त: 10 मार्च (रविवार) दोपहर 02:29 PM पर समाप्त.
उदया तिथि के अनुसार फाल्गुन अमावस्या 10 मार्च (रविवार) को मनाई जाएगी.