गुप्त वार्ता : 100 करोड़ी पटवारी, धार्मिक भावनाएं आहत कर गया स्कूल

विशाल बत्रा 9425068638
ख़बरमंत्री न्यूज़ नेटवर्क
भोपाल । बहुत सी खबरें ऐसी होती है जो आमतौर पर गुप्त होती हैं, लेकिन चर्चाओं से निकलकर सामने आ ही जाती है। दैनिक "गुरुमंत्र" की संपादकीय टीम ऐसी चर्चाओं पर सदैव कान गड़ाए रखती है और इन चर्चाओं से खबरें निकाल लाती है। हम आज से एक विशेष कॉलम शुरू कर रहे हैं "गुप्त वार्ता"। इस कॉलम के माध्यम से हर सप्ताह हम आपको विभिन्न खबरों पर अंदर खाने चल रही चर्चाओं से अवगत कराएंगे। आप पढ़कर चर्चाओं और खबरों की तह तक जाने की कोशिश कीजिए।
100 करोड़ी पटवारी...
राजधानी के जमीन से जुड़े हलकों में कई पटवारियों के धनबल और राजनीतिक ताकत के बारे में अक्सर चर्चा होती है। पिछले दिनों ही नेताओं और पत्रकारों की एक महफ़िल में राजधानी के पटवारियों की बात निकल गई। किसी मामले में एक पत्रकार ने आश्चर्य जताया कि पटवारी आपकी नहीं सुनता। जिस पर उक्त नेता का कहना था की भोपाल के पटवारियों की ताकत को तुम नहीं जानते। यहां के कुछ पटवारी तो 100 करोड़ के आसामी है और कुछ पटवारी अपने राजनीतिक संपर्कों के चलते एसडीएम का भी ट्रांसफर करवाने की ताकत रखते हैं। नेता द्वारा किया गया यह खुलासा सुनकर पत्रकार तो भौंचक्के रह गए। वहां मौजूद दैनिक "गुरुमंत्र" के पत्रकार भी यह सब सुन रहे थे। सो अब ऐसे पटवारियों की जानकारी जुटाना तो लाजिमी होगा। बहरहाल यह कौन लोग हैं अभी तक तो "गुप्त" ही है। हालांकि हमारी "गुप्त वार्ता" टीम को इनके नाम जैसे ही पता चलेंगे हम अपने पाठकों को जरूर बताएंगे । तब तक आप दैनिक "गुरुमंत्र" और ख़बरमंत्री.com की हर खबर पर नजर जरूर जमाए रखिए।
धार्मिक भावनाएं आहत कर गया स्कूल...
मामला एक प्रतिष्ठित स्कूल से जुड़ा है, जिसका भोपाल में बड़ा नेटवर्क है । गत दिनों इस स्कूल की असेंबली में एक नाटक का आयोजन हुआ था। आयोजन शायद सांप्रदायिक सद्भाव पर आधारित रहा होगा। लेकिन स्कूल प्रबंधन द्वारा सद्भाव जताने की होड़ में छोटे-छोटे बच्चों को कुर्ता पजामा, सिर पर टोपी और गले में गमछा पहनाकर और आंखों में सुरमा लगाकर इस तरह से समुदाय विशेष के व्यक्तियों का ऐसा जबरदस्त रूप दिया गया की उस धर्म को मानने वाले भी धोखा खा जाएं। खास बात यह की इस तरह का रूप धारण करने वाले अधिकांश बच्चे बहुसंख्यक समुदाय के परिवारों के थे। बच्चे तो भोले होते हैं सो उन्होंने खुशी-खुशी इस तरह का रूप धारण करके अपना प्ले पूरा कर लिया। लेकिन कुछ दर्शकों को स्कूल प्रबंधन की यह थीम बर्दाश्त नहीं हुई सो बात कुछ पालकों तक और पालकों से मीडिया तक पहुंच गई। मीडिया कर्मियों ने स्कूल के नंबर पर फोन करके सवाल किए। स्कूल की रिसेप्शनिस्ट ने सर्वप्रथम तो प्रिंसिपल और पीआरओ का नंबर देने से ही मना कर दिया । मीडिया कर्मियों ने रिसेप्शनिस्ट को मामले की गंभीरता के बारे में हिंट किया तो भी रिसेप्शनिस्ट प्रिंसिपल और पीआरओ का नंबर देने के लिए तैयार नहीं हुई। मजबूरी में मीडिया कर्मी ने भी कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। लेकिन मीडिया का इतना सवाल ही स्कूल प्रबंधन को बेचैन कर गया था। सो 10 मिनट के अंदर एक पत्रकार के पास स्कूल से किसी उदय का फोन आता है। उदय सिर्फ इतना कहता है कि हम ऐसे सभी मामलों में पालकों की सहमति ले लेते हैं और इस प्ले के बारे में भी हमने पालकों की सहमति ली थी। उदय से कुछ और प्रश्न किए जाते इससे पहले ही इतना कहकर उसने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया और बाद में कोई कॉल रिसीव नहीं किया। यह वाक्या स्कूल प्रबंधन की बौखलाहट के प्रदर्शन के लिए काफी था। स्कूल प्रबंधन ने इस रोल के लिए पालकों की सहमति लेने की बात की लेकिन सहमति लेने के लिए प्ले की स्क्रिप्ट बताई गई है इसमें संदेह है। बाद में इस घटना को दबाने के लिए स्कूल प्रबंधन ने तमाम जगहों पर अपना प्रबंधन कौशल दिखाया और बाद लगभग दब भी गई। गणेश उत्सव के दिनों में बच्चों से करवाया गया यह प्ले कुछ पालकों को खल रहा है और नाराजगी सुलग रही है। बच्चों के भविष्य का सवाल होने से कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा लेकिन अंदर ही अंदर बेचैनी बरकरार है। उक्त नाटक में प्ले करते बच्चों की तस्वीरें भी राजधानी के कई पत्रकारों और नेताओं के मोबाइल से होते हुए "गुरुमंत्र" की "गुप्त वार्ता" टीम तक पहुंची है । चर्चा सब और है, हम तो सिर्फ बता रहे हैं कि स्कूल प्रबंधन ने सांप्रदायिक सद्भाव का मैसेज देने के लिए बड़ा प्रयास किया था। लेकिन प्रयास में थोड़ा ज्यादा ही उत्साह का प्रदर्शन कर गए । इसमें नादान बच्चों का उपयोग किया गया। कई दर्शकों को मैसेज का यह तरीका बर्दाश्त नहीं हुआ सो बात लीक हो गई। यह "गुप्त वार्ता" है सो बात लीक हो गई है तब भी, स्कूल का नाम तो हम नहीं बताएंगे । लेकिन इतना जरूर बताएंगे कि मामला राजधानी के रोहित नगर के एक बड़े स्कूल का है।