नई दिल्ली । राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मनोरंजन उद्योग में बच्चों के लिए फिल्मों, टीवी, रियलिटी शो, ओटीटी प्लेटफार्मों, समाचारों में उनकी भागीदारी को विनियमित करने के लिए गाइडलाइन जारी की है। नई गाइडलाइन के अनुसार इसमें मनोरंजन के नाम पर अब बच्चों का शोषण नहीं हो सकेगा। 'मनोरंजन उद्योग में बच्चों की भागीदारी के लिए दिशानिर्देश' नाम से जारी इस गाइडलाइन में बाल कलाकारों के अधिकारों को स्पष्ट करते हुए इनके उल्लंघन पर दंड का प्रावधान किया गया है।
गाइड लाइन में कहा गया है कि हर बाल कलाकार को आत्म सम्मान के साथ काम करने और उससे जुड़े फैसलों में भाग लेने का अधिकार होगा। उसकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना होगा। उससे ऐसा कोई रोल नहीं करवाया जा सकेगा जिसकी वजह से उसे शर्मिंदगी उठानी पड़े या उसे भावनात्मक चोट पहुंचे। इन दिनों रियलिटी शोज में जज अक्सर भाग लेने वालों के साथ बहुत बदतमीजी से पेश आते हैं। 
इस तरह के व्यवहार की नई गाइडलाइन में साफ मनाही की गई है। यह कहती है कि बच्चों से किसी भी तरह के नग्नता या अश्लीलता के सीन नहीं करवाए जा सकते। आयोग की गाइडलाइन में कहा गया है कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि वातावरण बच्चों के लिए सुरक्षित हो। कार्यक्रम-निर्माता बच्चों के लिए पर्याप्त भोजन और पानी के साथ-साथ विश्राम कक्ष के लिए जिम्मेदार होगा। अगर कलाकार 6 साल से कम उम्र का है तो हर समय उसके साथ मां-बाप में से किसी एक व्यक्ति या उसके लीगल गार्जियन का मौजूद रहना अनिवार्य है। इसी तरह 6 साल से बड़े बच्चों के साथ भी गार्जियन या उसके किसी परिचित का मौजूद रहना जरूरी होगा। बाल कलाकारों से एक दिन में सिर्फ एक ही शिफ्ट में काम करवाया जा सकेगा। 
इसके साथ ही हर तीन घंटे के बाद उन्हें ब्रेक देना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 77 का पालन करते हुए, बच्चों को शराब, धूम्रपान या किसी अन्य पदार्थ का सेवन करते हुए नहीं दिखाया जाना चाहिए। बच्चों को जिलाधिकारी के पास अपना नाम दर्ज कराना होगा। विज्ञापनों के लिए, ड्राफ्ट नोट में कहा गया है कि बच्चों का उपहास नहीं किया जाना चाहिए या उन्हें हीन महसूस नहीं कराया जाना चाहिए।