वेलिंगटन। नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) का एक उपग्रह अपनी कक्षा से सफलतापूर्वक अलग हो गया और अब यह चंद्रमा की तरफ बढ़ रहा है। इसी के साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रमा की सतह पर फिर से अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने की अपनी योजना के तहत एक और कदम बढ़ा दिया है। ‘कैप्स्टोन’ उपग्रह की यात्रा पहले से ही कई मायने में असामान्य रही है। इस उपग्रह को छह दिन पहले न्यूजीलैंड के माहिआ प्रायद्वीप से प्रक्षेपित किया गया था। इसे रॉकेट लैब कंपनी ने अपने छोटे से इलेक्ट्रॉन रॉकेट से प्रक्षेपित किया था। इस उपग्रह को चांद पर पहुंचने में चार और महीने लगेंगे। यह उपग्रह कम से कम ऊर्जा का इस्तेमाल करते हुए अकेले ही चांद की ओर बढ़ रहा है। रॉकेट लैब के संस्थापक पीटर बेक ने कहा कि वह अपने उत्साह को शब्दों में बयां नहीं कर पा रहे।
बेक ने कहा, ‘इस परियोजना पर हमने दो-ढाई साल का समय लगाया। इसका क्रियान्वयन बहुत ही कठिन था।’ उन्होंने कहा कि अपेक्षाकृत कम लागत वाली यह कोशिश अंतरिक्ष अभियान की दिशा में नये युग की शुरुआत करेगी। नासा ने इस पर 3.27 करोड़ डॉलर खर्च किए हैं। बेक ने कहा कि अब कुछ करोड़ डॉलर में आप के पास रॉकेट और अंतरिक्ष यान होंगे, जो आप को सीधे चंद्रमा, क्षुद्रग्रहों और शुक्र तथा मंगल ग्रह पर ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि आगे का अभियान सफल रहता है, तो कैप्स्टोन उपग्रह अहम सूचनाएं महीनों तक भेजता रहेगा। नासा की योजना कक्षीय मार्ग में ‘गेटवे’ नामक अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करने की है, जहां से अंतरिक्ष यात्री इसके ‘अर्टेमिस’ कार्यक्रम के तहत चंद्रमा की सतर पर उतर सकेंगे।
बेक के मुताबिक, नई कक्षा का महत्व यह है कि इससे ईंधन का इस्तेमाल कम हो जाता है और यह उपग्रह या अंतरिक्ष स्टेशन को धरती के लगातार संपर्क में रखती है। न्यूजीलैंड से 28 जून को प्रक्षेपित किया गया इलेक्ट्रॉन रॉकेट अपने साथ ‘फोटोन’ नामक एक दूसरा अंतरिक्ष यान ले जा रहा था। अंतरिक्ष यान के इंजन के सोमवार को समय-समय पर चलने पर ‘फोटोन’ पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से अलग हो गया और इसने उपग्रह को उसके रास्ते पर भेज दिया।