रायगढ़: कोई भी चीज अनुपयोगी नहीं होती, बस उन्हें देखने का नजरिया होना चाहिए, जिससे उन्हें बेहतर इस्तेमाल कर सके और इस मामले में हम भारतीयों का कोई तोड़ नहीं, जिसे आम भाषा में जुगाड़ भी कहते है। यही नजारा ग्राम पंचायत लाखा के स्कूल में देखने को मिलेगा, जहां अनुपयोगी हो चुके गाड़ी के पहिए आज बच्चों के बीच मनोरंजक खेल सामग्री बन गए हैं और उनके बेहतर शारीरिक विकास को रफ्तार दे रहे हैं।
रायगढ़ विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत लाखा के स्कूल मैदान में अलग-अलग रंगों से पेंटेड टायर्स को जमीन में लगाया गया है। जो देखने में बड़े आकर्षक लगते हैं और बच्चों में फिजिकल एक्टिविटी के लिए उत्सुकता भी जगाते हैं। खेल कुद के समय बच्चों की यहां भीड़ रहती है। खेल के इस नए तरीके को लेकर उनमें बड़ा उत्साह है। चहल-कदमी पूरे दिन होती होती है। असल में  खूबसूरत अर्ध चंद्राकर जमीन में गड़े हुए दिखने वाले मालवाहक गाडिय़ों के खराब टायर है। जो बिल्कुल अनुपयोगी हो चुके थे, लेकिन इन वेस्ट टायर को बेहतरीन और मनोरंजक शारीरिक गतिविधि सामग्री (बेस्ट इंटरटेनिंग फिजिकल एक्टिविटी इक्यूपमेंट) के रुप में इजाद कर दिया गया है।
कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने बच्चों के लिए बेहतर मानसिक और शारीरिक विकास के लिए माहौल उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में जिला पंचायत सीईओ श्री अबिनाश मिश्रा के मार्गदर्शन में इन खराब मटेरियल के बेहतर इस्तेमाल के साथ बच्चों के लिए एक्टिविटी मैटेरियल के रूप में उपयोग करने की रूपरेखा बनी। इसके लिए यूनिसेफ  के साथ जनपद स्तर के अधिकारियों ने भी अपना योगदान दिया और इन खराब हो चुके सामग्रियों का संकलन के साथ इन्हे उपयोगी बनाने में सहयोग दिया। खराब होने के बाद यहां वहां पड़े रहने वाले टायर आज मैदान की खूबसूरती बढ़ा रही है, वहीं ये आंगनबाड़ी के साथ स्कूल के बच्चों के लिए भी खेल सामाग्री की तरह उपयोग में आ रहे है, जिससे स्कूली बच्चों को शारीरिक क्षमता भी विकसित कर रही है। आज की जीवनशैली में बच्चे अमूमन मैदानी खेलों से दूर घर की चारदीवारी में टीवी मोबाइल से चिपके नजर आते हैं। ऐसे में उन्हें वापस मैदानी खेलों से मनोरंजक तरीके से जोडऩे की कोशिश इस खास पहल का भी उद्देश्य है। इसमें जनपद पंचायत सीईओ श्री रूपेंद्र पटेल, यूनिसेफ  की ओर से श्री संतोष पटोदा के साथ एसडीओ आरईएस श्री एस.एन.महापात्रा रोजगार सहायक श्री मुकेश गुप्ता तथा आंगनबाड़ी वर्कर श्रीमती माधुरी गुप्ता का भी सहयोग रहा।