भोपाल   शनिवार यानी 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान चलाया जाएगा। मप्र सरकार ने इस अभियान के तहत करीब एक करोड़ 51 लाख तिरंगा लगाने का लक्ष्य तय किया है। इस अभियान को आम लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। हालात ऐसे हैं कि राजधानी भोपाल की दुकानों पर तिरंगे की शॉर्टेज हो गई है। मीडियम साइज का झंडा मार्केट में मिल नहीं रहा है। दुकानदार कहते हैं कि पहली बार तिरंगे की इतनी ज्यादा डिमांड आई है कि सप्लायर झंडे की सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं। भोपाल में कई जगहों पर तिरंगे का स्टॉक खत्म हो चुका है। खादी भंडार में भी तिरंगे आते ही बिक जा रहे हैं। अब तक कई बार खादी भंडार वाले स्टॉक मंगा चुके हैं, लेकिन अब सप्लाई करने वालों ने भेजने से मना कर दिया है। इंदौर में तिरंगे को लेकर ऐसी दीवानगी है कि कई वार्डों में सरकारी रेट पर बेचे जा रहे तिरंगे खत्म हो गए हैं। इसी तरह ग्वालियर में भी कई इलाकों में स्टॉक खत्म होने की शिकायत मिली है। जबलपुर में भी कई जगहों पर तिरंगा का स्टॉक खत्म हो चुका है। 

भोपाल में 50 हजार झंडे दस दिन में खत्म

भोपाल के रोशनपुरा चौराहे पर चुनाव प्रचार सामग्री विक्रेता नितेश अग्रवाल ने बताया, पहली बार किसी राष्ट्रीय पर्व पर तिरंगे की डिमांड इतनी ज्यादा बढ़ी है। 20 बाय 30 इंच साइज के झंडे की डिमांड सबसे ज्यादा है। इसकी कीमत 25 रुपए है। हमने 50 हजार झंडे मंगाए थे, दस दिन में ही पूरा स्टॉक खत्म हो गया है। तिरंगा कैप, गमछा, व्हीकल फ्लैग और रॉड वाले झंडे सहित लगभग सारा माल खत्म हो चुका है। 50 हजार झंडे 10 दिन में खत्म हो गए। पहली बार ऐसा हुआ है कि तिरंगा सहित कैप, गमछे भी खत्म हो गए हैं। हमारे सप्लायर्स भी माल की डिलीवरी नहीं दे पा रहे हैं, उनका कहना है कि तिरंगा बन नहीं पा रहा है। पहली बार ऐसा क्रेज देखने को मिल रहा है।

खादी भंडार पर भी तिरंगे का संकट

भोपाल के न्यू मार्केट स्थित खादी भंडार की दुकान पर तिरंगे झंडे नहीं मिल पा रहे हैं। यहां काम करने वाले कर्मचारी नरेश ने बताया, 280 रुपए कीमत वाला डेढ़ बाय सवा दो साइज के 500 झंडे मंगाए थे, एक हफ्ते में ही सब बिक गए। हम आमतौर पर झंडे मंगाते नहीं थे, लेकिन इस बार हर घर तिरंगा अभियान के चलते मंगाए थे। एक बाय डेढ़ की साइज के भी एक हजार झंडे बिक चुके हैं। जहां से माल आता है, उन्होंने भी अब झंडे सप्लाई करने से हाथ खडे़ कर दिए हैं।

स्व-सहायता समूह बना रहे तिरंगे

भोपाल जिला प्रशासन ने स्व सहायता समूहों की महिलाओं को तीन लाख 15 हजार तिरंगे बनाने का ऑर्डर दिया है। भोपाल के ईंटखेड़ी में महिलाएं अब तक करीब दो लाख झंडे बना चुकी हैं। भोपाल के शहरी क्षेत्रों में नगर निगम के वार्ड ऑफिस, राशन की दुकानों पर तिरंगा आम लोगों को उपलब्ध कराने के लिए रखवाए गए हैं। यहां से आम लोग तिरंगा खरीद सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत के सचिव और ग्राम रोजगार सहायकों के अलावा, राशन दुकानों पर तिरंगा सुविधा केन्द्र बनाए गए हैं।

इंदौर में कई वार्डों में तिरंगे हुए खत्म

इंदौर में तिरंगे को लेकर ऐसी दीवानगी है कि कई वार्डों में सरकारी रेट पर बेचे जा रहे तिरंगे खत्म हो गए हैं। 20 बाय 20 इंच के तिरंगे का सरकारी बिक्री रेट 15 रुपए है। वार्ड नंबर 82 के पार्षद शानू नितिन शर्मा ने बताया, वार्ड में 5700 तिरंगे बिक गए हैं। शुक्रवार को तिरंगे खत्म होने के चलते उन्होंने एक हजार तिरंगे और मंगवाए हैं। अभी सिर्फ 200 तिरंगे मिल पाए हैं। वार्ड में जारोलिया मार्केट और परिवहन नगर में जगह बनाई है। वार्ड नंबर 84 के बंटी सोलंकी ने बताया, वार्ड में ढाई से तीन हजार के लगभग तिरंगे बांटे हैं। आइडियल स्कूल के यहां से तिरंगे बेचे जा रहे हैं। दुकान पर 80 साल के जगदीश भटनागर भी तिरंगा लेने पहुंचे। वार्ड नंबर 85 में भी ग्वाला कॉलोनी और सांई बाबा नगर से तिरंगे का वितरण किया जा रहा है।

ग्वालियर में मतदान पर्ची की तरह बीएलओ झंडा वितरण में लगे

लियर में सरकारी राशन की दुकानों और सहकारी समितियों पर 50-50 तिरंगे दिए गए हैं। राशन लेने आने वाले हितग्राहियों को दुकानदार तिरंगा झंडा लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। राशन दुकानदार आम लोगों को यह बता रहे हैं कि 13 से 15 अगस्त तक आयोजित हर घर तिरंगा अभियान के तहत तिरंगा झंडा अपने घरों पर लगाएं। इसके अलावा घर-घर तिरंगा पहुंचाने के लिए सर्वे किया गया था। इसमें बीएलओ को वोटिंग पर्ची की तरह ही झंडा वितरण के काम पर लगाया गया है। प्रशासन ने करीब 10 लाख के झंडे तैयार करवाए हैं। मध्य भारत खादी केन्द्र ग्वालियर में पिछले साल 30 से 35 लाख झंडे तैयार करने का ऑर्डर था, लेकिन इस बार आजादी का अमृत महोत्सव के चलते 60 से 65 लाख झंडे का ऑर्डर है। यहां तैयार झंडे देश की ऐतिहासिक इमारतों जैसे सरकारी दफ्तरों, परेड मैदान पर फहराए जाते हैं। देश में मध्य भारत खादी केन्द्र की तीन यूनिट हैं। इनमें से एक ग्वालियर में है। जिला प्रशासन ने यहां से भी 50 हजार झंडे तैयार करवाए हैं। ग्वालियर जिले में भी कई जगहों से स्टॉक खत्म होने की शिकायत आ रही है। खासतौर से ग्रामीण इलाकों में तिरंगा नहीं मिल पा रहा है, जहां स्टॉक हैं वहां अधिक कीमत वसूली जा रही है।

उज्जैन में नहीं मिल पा रहा तिरंगा

उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि पोस्ट ऑफिस के साथ-साथ नगर निगम के सभी 6 जोन, जिले की सभी आंगनबाड़ी, कंट्रोल दुकानों पर झंडे बिक रहे हैं। पोस्ट ऑफिस में बिकने वाले झंडे की कीमत 25 रुपए है। इसका आकार 20 x 30 रखा गया है। डंडा खरीदने के लिए 5 रुपए अलग देना होंगे, जबकि नगर निगम सहित आंगनवाड़ी और कंट्रोल पर मिलने वाले झंडे की कीमत डंडे सहित 17 रुपए रखी गई है। पोस्ट ऑफिस के 46 हजार झंडे 13 दिन में खत्म हो गए। यही नहीं नगर निगम के सभी 6 जोन में पहुंचे झंडे चार दिन में खत्म हो गए। अब कई लोग चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें तिरंगा नहीं मिल पा रहा है। उज्जैन के मुख्य पोस्ट ऑफिस के हेड पोस्ट मास्टर एसएन झा ने बताया, 30 जुलाई को सूरत से 46 हजार झंडे उज्जैन पहुंचे थे। इनमें से कुछ शाजापुर, आगर पहुंचाए गए और बाकी को उज्जैन के लिए रखा गया था। 13 दिन में ही झंडे खत्म हो गए हैं। अब झंडे कब आएंगे ये भी पता नहीं है। इधर, नगर निगम के सभी 6 जोन में घरों की संख्या के हिसाब से झंडे पहुंचाए गए थे। नानाखेड़ा जोन नंबर 6 में 8 जुलाई को 10 हजार झंडे पहुंचाए गए थे। लेकिन, सभी झंडे चार दिन में ही खत्म हो गए। नगर निगम ने एक लाख झंडे वितरण करने का लक्ष्य रखा है।

जबलपुर में डिमांड इतनी कि SHGs की महिलाएं दिन-रात बना रही तिरंगा

जबलपुर के शहरी और ग्रामीण इलाकों मे तिरंगे झंडे बनाए जा रहे हैं। तकरीबन 5 लाख 60 हजार तिरंगे झंडे बनाने का टारगेट दिया है। स्व-सहायता समूह (SHGs) की महिलाएं इसे तैयार कर रही हैं। शहर के गारमेंट कारोबारियों ने करीब तीन लाख झंडे बनवाए हैं, जबकि स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने दो लाख से अधिक झंडे तैयार किए हैं। ये झंडे व्यापारियों को बेचने के लिए बाजार में दिए गए हैं। कलेक्टर ने विभागों की भी सूची तैयार कर उन्हें सप्लाई करने के निर्देश दिए हैं। तिरंगा झंडा तैयार करने के लिए गुजरात से कपड़ा मंगवाया गया है, जिन्हें फ्लैग स्टिक (झंडे के डंडे) में लगाकर बाजार में दिया गया है। झंडे तैयार करने के लिए करीब 50 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। व्यापारी बताते है कि जिला प्रशासन ने 30 रुपए और 50 रुपए रेट निर्धारित किए है। वहीं कम दाम के भी झंडे दुकान में रखे हुए हैं। झंडा विक्रेता ज्योति बताती हैं, तिरंगे को लेकर लोगों में उत्साह है। लोग इतने झंडे खरीद रहे हैं कि रोज स्टॉक मंगाना पड़ रहा है। अब तो स्टॉक की कमी भी हो रही है। झंडे की डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं मिल रही है। यही वजह है कि कारण दामों मे भी कुछ बढ़ोतरी हुई है।