नई दिल्‍ली ।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून  के तहत 81.3 करोड़ गरीबों को एक साल यानी 2023 तक मुफ्त राशन देने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 81.3 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज का वितरण एक साल तक करने का फैसला किया। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों को मुफ्त राशन देने पर करीब 2 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी इसका बोझ केंद्र सरकार उठाएगी।
केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री गोयल ने बताया कि सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट के तहत चावल तीन रुपये प्रति किलो गेंहू दो रुपये प्रति किलो और मोटा अनाज एक रुपये प्रति किलो की दर से देती है। सरकार ने फैसला लिया है कि दिसंबर 2023 तक यह पूरी तरह से मुफ्त में मिलेगा। इससे 81.35 करोड़ लोगों को फायदा होगा।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह सुनिश्चित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत खाद्यान्न अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। हम ऐसा नहीं कह रहे कि केंद्र कुछ नहीं कर रहा। केंद्र सरकार ने कोविड के दौरान लोगों तक अनाज पहुंचाया है। हमें यह भी देखना होगा कि यह जारी रहे। हमारी संस्कृति है कि कोई खाली पेट नहीं सोए। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कोविड और लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को हुई परेशानियों पर सुनवाई हो रही थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी की।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून देश में 10 सितंबर 2013 को यूपीए सरकार के दौरान लागू हुआ था। इसका उद्देश्य लोगों को गरिमा के साथ जीवन जीने के लिए सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण भोजन की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित कराना है ताकि लोगों खाद्य और पोषण सुरक्षा दी जा सके। इस कानून के तहत 75 फीसदी ग्रामीण आबादी और 50 फीसदी शहरी आबादी को कवरेज मिला है जिन्हें बेहद कम कीमतों पर सरकार द्वारा अनाज मुहैया कराया जाता है। सरकार प्रति व्यक्ति प्रति माह 1-3 रुपये प्रति किलोग्राम पर पांच किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान करती है। इस अधिनियम के तहत व्यक्ति को चावल 3 रुपये गेहूं 2 रुपये और मोटा अनाज 1 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मिलता है। 
यह अधिनियम तीन तरह के अधिकारों की गारंटी देता है। इसके अंतर्गत बच्चों को पोषण आहार देना मातृत्व लाभ देना तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए सस्ते दर पर खाद्य पदार्थ देना शामिल है। जिला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र भी स्थापित किया गया है ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। बिहार जैसे राज्यों में इस अधिनियम को लागू करने से आम लोगों को काफी लाभ मिला है।