सीहोर  भोपाल के करीब सीहोर में सोमवार को रुद्राक्ष महोत्सव स्थगित होने का मामला गरमा गया है। 15 दिनों की तैयारी महज 8 घंटे में ध्वस्त होने से भक्त आक्रोशित हैं। ऐसे में मंगलवार सुबह इस मामले में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को एंट्री लेनी पड़ी। उन्होंने कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा से व्यवस्थाओं को लेकर बात की। गृहमंत्री ने कहा- दंडवत कर रहा हूं महाराज, निवेदन कर रहा था प्रशासन की कोई दिक्कत तो नहीं है। कोई बात होगी तो बताइएगा, कोई भी आवश्यकता हो। आपके आशीर्वाद से ही सरकार है महाराज। गृहमंत्री को महाराज ने बताया कि आज सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं, अब कोई दिक्कत नहीं है।

कमलनाथ ने इवेंट को लेकर सरकार को घेरा

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मामले में ट्वीट कर सरकार को घेरा। उन्होंने लिखा- महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या, शिवराज जी की सरकार, शिवराज जी का क्षेत्र और शिव ज्ञान की गंगा बहाने वाला 'शिव महापुराण व रुद्राक्ष महोत्सव' का 7 दिवसीय महाआयोजन दबाव डालकर पहले दिन ही स्थगित करा दिया गया, क्योंकि प्रशासन लाखों श्रद्धालुओं की व्यवस्था संभालने में असफल साबित…? एक कथावाचक को आंखों में आंसू भरकर व्यासपीठ से इस सच्चाई को श्रद्धालुओं को बताना पड़े तो इससे शर्मनाक प्रदेश के लिए कुछ और हो नहीं हो सकता है… जो खुद को धर्मप्रेमी बताते हैं यह है, उनकी सरकार की हकीकत…. बड़ी संख्या में श्रद्धालु नाराज, प्रदेश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ।

शिव महापुराण और रुद्राक्ष महोत्सव की तैयारियां चितावलिया हेमा गांव में पिछले 15 दिनों से चल रही थीं। सोमवार सुबह पंडित प्रदीप मिश्रा ने आयोजन की शुरुआत की। सुबह से ही हजारों लोगों का पंडाल पहुंचना शुरू हो गया। भीड़ इस कदर उमड़ी की दोपहर होते-होते भोपाल-इंदौर स्टेट हाईवे के दोनों ओर 25 किमी तक जाम लग गया। हालात ऐसे बन गए कि पैदल चलने वालों तक का हाईवे से गुजरना मुश्किल हो रहा था।

सीहोर-आष्टा और आसपास के सभी होटल, धर्मशाला तो फुल थे, साथ ही 60 हजार की क्षमता वाला पंडाल भी खचाखच भरा हुआ था। दोपहर तक ही ढाई लाख भक्त यहां पहुंच चुके थे और श्रद्धालुओं का कारवां नहीं थम रहा था। अफरा-तफरी की स्थिति को देख पं. प्रदीप मिश्रा भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि ऊपर से बार-बार दबाव आ रहा है, इसलिए कथा स्थगित कर रहा हूं। आपसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि अपने घर जाकर ऑनलाइन माध्यम से ही कथा सुनें। हालांकि प्रशासन का कहना है कि कथा स्थगित करने के लिए कोई दबाव नहीं डाला गया।

रुद्राक्ष महोत्सव की तैयारियों में लगे आयोजकों के साथ प्रशासन को भी इस बात का एहसास था कि 10 से 15 लाख श्रद्धालु आएंगे। विठलेश सेवा समिति ने तो अपने स्तर पर तैयारियांं पूरी की थीं, भोपाल-इंदौर हाईवे सबसे व्यस्ततम मार्ग होने के बाद भी, प्रशासन की ओर से व्यवस्थाएं जरूरत के हिसाब से नहीं की गईं। यही कारण रहा कि इतना बड़ा आयोजन चंद घंटों में रद्द करना पड़ा।

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि उन्हें भी उम्मीद नहीं थी कि इतनी अधिक संख्या में श्रद्धालु महोत्सव में शामिल होने के लिए पहुंचेंगे। मुझे इस बात का दुख है कि श्रद्धालुओं के बीच भोजन वितरण के लिए सुबह 10 बजे का समय निर्धारित किया गया था, लेकिन 1:30 बजे भी वितरण नहीं हो सका, जबकि भोजन बनकर तैयार था।

लोग बोले- मंत्री भी जाम में फंसे थे

महोत्सव के पहले ही दिन कथा शुरू होने के साथ ही महोत्सव के आयोजन पर संकट के बादल मंडराने लगे। कथा में शामिल होने आए जाम में फंसे लोगों का कहना था कि जाम में एक से अधिक मंत्री फंस गए थे। उसी दौरान हाईवे पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु महोत्सव स्थल की ओर जा रहे थे।

जब फूट-फूट कर रो पड़े पंडित मिश्रा

शिवमहापुराण की कथा का वाचन कर रहे भागवत भूषण पं. प्रदीप मिश्रा ने बताया- ऊपर से कार्यक्रम को स्थगित करने का दबाव आ रहा था। यह कहते हुए उन्होंने हाथ जोड़कर देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं से क्षमा मांगी और रूद्राक्ष महोत्सव कार्यक्रम को स्थगित करने और सात दिवसीय शिव महापुराण कथा को ऑनलाइन करने की बात कही। यह सुन पंडाल में सन्नाटा पसर गया। श्रद्धालुओं की आंखों में आंसू छलक उठे तो पंडित मिश्रा भी अपने को नहीं रोक पाए और रो पड़े।

प्रशासन ने दिलाई मुगल शासन की याद: पूर्व विधायक

सीहोर के पूर्व विधायक रमेश सक्सेना ने आयोजन के रद्द होने को लेकर प्रशासन पर दबाव बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा- भाजपा सरकार के मंत्रियों ने महाशिवरात्रि से एक दिन पहले रुद्राक्ष महोत्सव को स्थगित करवाकर हिन्दू धर्म और श्रद्धालुओं की आस्थाओं का अपमान किया है। यह सब मुगल शासनकाल में हिंदुओं को भुगतना पड़ता था, यह उसी की याद दिलाता है।

कांग्रेस नेता ने पूछा- प्रशासन क्यों सो रहा था?

जिला कांग्रेस अध्यक्ष बलवीर तोमर ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि 15 दिन पहले से रुद्राक्ष महोत्सव की तैयारी की जा रही थी। टीवी से भी उसका प्रचार-प्रसार हो रहा था। इस संभावना से प्रशासन भी अवगत था कि महोत्सव के दौरान 10 से 15 लाख श्रद्धालु सकते हैं। इसके बाद भी प्रशासन द्वारा आयोजकों और आयोजन को लेकर कोई तैयारियां नहीं की गई थीं, कथा का स्थगित होना दुर्भाग्यपूर्ण है।