देहरादून । देवभूमि केदारनाथ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। श्रद्धालुओं को दर्शन कराने के लिए घोड़े और खच्चरों से गौरीकुंड ले जाया जा रहा है। घोड़े और खच्छरो के साथ बड़ा अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। 1 दिन में 2 से 3 फेरे लगवाए जा रहे हैं। जिसके कारण मूक प्राणियों की बड़ी संख्या में मौत हो रही है। 
केदारनाथ से गौरीकुंड का 18 किलोमीटर का सफर है। यह सफर घोड़े और खच्चरों की सहायता से श्रद्धालु पूरा करते हैं। श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या केदारनाथ पहुंच रही है। जिसके कारण खच्चरों के मालिक दो से तीन बार इन्हें गौरीकुंड तक भेजते हैं। 5000 घोड़े और खच्छरों की अनुमति प्रशासन द्वारा दी गई थी। इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के कारण इसे बढ़ाकर 6000 कर दिया गया है। खच्चर मालिकों को भारी कमाई हो रही है। लेकिन इसमें जान खच्छरों की जा रही है। समुद्र तल से 11000 फीट की ऊंचाई पर इन खच्छरो के साथ मानवीय व्यवहार हो रहा है। बड़ी संख्या में मुंह पशुओं की मौत हो रही है। श्रद्धालुओं को इस यात्रा का पुण्य मिलेगा या पाप मिलेगा। यह तो श्रद्धालुओं को ही तय करना पड़ेगा। खच्चर मालिक जरूर ज्यादा कमाई के चक्कर में खच्छरों के साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं। खच्छरों के मर जाने पर पशु मालिक मंदाकिनी नदी में फेंक कर वापिस आ जाते हैं। नदी का भी प्रदूषण बढ़ रहा है।