खजुराहो ।   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खजुराहो में मंगलवार को नृत्य महोत्सव का आगाज करते हुए आदिवासी और लोककलाओं की ट्रेनिंग देने गुरुकुल की स्थापना की घोषणा की। साथ ही खजुराहो में एलोपैथिक हॉस्पिटल, आयुर्वेदिक कॉलेज और हॉस्पिटल के साथ ही खजुराहो को नगर परिषद को जनसंख्या के अनुपात के आधार पर नगर पालिका बनाने की घोषणा की। महोत्सव के पहले दिन 1484 कलाकारों ने एक साथ कथक कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 50वें खजुराहो नृत्य महोत्सव का मंगलवार को शुभारंभ किया। इस अवसर पर देश के अलग-अलग हिस्सों से आए 1484 कलाकारों ने एक साथ खजुराहो मंदिर के सामने कथक कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खजुराहो में ट्राइबल और लोककलाओं की ट्रेनिंग देने गुरुकुल की स्थापना की घोषणा की। उन्होंने घोषणा के बाद गुरुकुल निर्माण के लिए भूमिपूजन भी किया। उनके साथ खजुराहो के सांसद वीडी शर्मा भी मौजूद थे खजुराहो में गुरुकुल की घोषणा करते हुए सीएम डॉ. यादव ने कहा कि खजुराहो में ऐसा गुरुकुल बनाया जाएगा, जहां पर संगीत, साहित्य, नृत्य सभी प्रकार के कलाओं का संयोजन करते हुए प्रशिक्षण दिया जाएगा। सभी प्रकार की कलाओं में 64 कला, 14 विद्या, 18 पुराण और 4 वेद शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि संसार में उनकी ज्ञान ज्योति फैलाएं। मैं अपनी ओर से उस गुरुकुल की घोषणा करता हूं। बता दें, गुरुकुल में जनजातीय और लोककलाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा। 

नगाड़ा बजा कर डांस फेस्टिवल का शुभारंभ 

मुख्यमंत्री ने वाद्य यंत्र नगाड़ा बजाकर खजुराहो डांस फेस्टिवल की शुरुआत की। इसके साथ ही 1484 कलाकारों ने मंदिर परिसर में एक साथ नृत्य की प्रस्तुति दी। इतनी बड़ी संख्या में कथक नृत्य कर कलाकारों ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया और भारतीय संस्कृति की झलक दिखाई। एक साथ बड़ी संख्या में कलाकारों का नृत्य गिनीज वर्ल्ड रेकॉर्ड में शामिल हो गया। 
 
आदिवर्त जनजातीय एवं लोक कला संग्रहालय पहुंचे सीएम

इसके बाद मुख्यमंत्री ने खजुराहो के आदिवर्त जनजातीय एवं लोक कला संग्रहालय का अवलोकन कर जनजातीय संस्कृति और लोक कला से रूबरू हुए। कलाकारों के दल द्वारा मुख्यमंत्री के आगमन पर पारंपरिक संस्कृति अनुसार आत्मीय स्वागत किया गया। आकर्षक लोकनृत्यों की प्रस्तुतियां भी दीं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भी कलाकारों के साथ ढोलक और वाद्य यंत्रों की थाप पर नृत्य किया। साथ ही संग्रहालय में कलाकारों द्वारा निर्मित वस्तुएं भी देखीं। भारिया, गोंड, कोल और भील घर पहुंचकर जनजातीय कलाकारों से संवाद किया तथा जनजातीय वर्ग के आवासों में पहुंचकर उनके रहन सहन और संस्कृति को देखा और कला एवं निर्मित विभिन्न उत्पादों की सराहना कर कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। यहां गोंड समुदाय के चित्रकार संतू तेकाम के चित्रों की प्रदर्शनी भी देखी।