लोकसभा के पांच बार सदस्य रहे और मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने भी कारसेवा में अहम भूमिका निभाई थी। दो दिन जेल में बंद रहे थे। फिर जेल से रसोइया बनकर भागे थे। बुंदेलखंड में बाबा जी के नाम से पहचाने जाने वाले कुसमरिया ने अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण पर खुशी जताई हैं।


 दमोह ।    22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इसके साथ ही कारसेवकों और रामभक्तों का वह संकल्प भी पूरा हो रहा है, जो कई वर्ष पहले उन्होंने लिया था। मध्य प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष और पूर्व सांसद रामकृष्ण कुसमरिया ने भी कारसेवा को याद किया है। उन्होंने बताया कि किस तरह वह कारसेवा करने अयोध्या पहुंचे थे। दो दिन जेल में बंद होने के बाद रसोइया बनकर पुलिस को चकमा देकर भागे थे।

ऐसे पहुंचे थे जेल

पूर्व सांसद डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया को बुंदेलखंड में बाबाजी के नाम से पहचाना जाता है। उन्होंने बताया कि वह 1990 में हनुमना बॉर्डर से लगभग 100 कारसेवकों के साथ मिर्जापुर पहुंचे थे। मिर्जापुर पुलिस ने पकड़कर उन्हें जौनपुर जेल में बंद कर दिया था। उनके साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान सहित कई बड़े नेता बंद किए गए थे।

रसोइया बनकर दिया था चकमा

बाबाजी ने बताया कि वह जेल में अनिश्चित समय के लिए बंद कर दिए गए थे। जेल के कर्मचारी खाना थैलों में लेकर आते थे। कर्मचारियों से निवेदन कर उनकी टोपी, पगड़ी और थैला लिया। तीसरे दिन पगड़ी पहनकर और थैला लेकर कर्मचारी बनकर जेल से बाहर आए। फिर अयोध्या पहुंचे थे। बाबा ने बताया कि दो दिन जेल में यातना भी मिली, लेकिन श्रीराम की लगन थी कि सब कुछ भूले और कारसेवक बनकर श्रीराम सेवा का अवसर मिला। 

मिला सम्मान और दिया सम्मान

बाबाजी ने बताया कि अयोध्या से लौटने पर दमोह, हटा और गृह ग्राम में कारसेवकों का भव्य स्वागत हुआ था। कुछ दिन बाद उन्होंने गृह ग्राम सकोर में कारसेवक सम्मान का आयोजन किया था। दमोह जिले से कारसेवक बनकर गए रामभक्तों को बुलाकर उनका सम्मान किया था। भगवान श्रीराम की कृपा और जनता के आशीर्वाद से वह कारसेवक बनने के बाद पांच बार लोकसभा चुनाव जीते थे।

घर-घर जाकर बांट रहे निमंत्रण

रामकृष्ण कुसमरिया इस समय रामकाज में लगे हैं। अपने क्षेत्र के लोगों को अयोध्या जाने का निमंत्रण दे रहे हैं। इसी के चलते ग्राम सकोर में उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को पीले चावल दिए। फिर अयोध्या चलने का निमंत्रण दिया।