सारी फाइलें जाती है DTO के घर, प्राइवेट कर्मचारी करते है वसूली !


विशेष संवाददाता
खबरमंत्री न्यूज़ नेटवर्क 
बैतूल। जिला परिवहन कार्यालय में पिछले एक माह से जबरदस्त भर्राशाही का आलम है। लगभग एक माह पूर्व जिला परिवहन अधिकारी अनुराग शुक्ला की पदस्थापना के बाद से आरटीओ ऑफिस सरकार के नियम कायदों से नहीं अपितु डीटीओ अनुराग शुक्ला की मर्जी से संचालित हो रहा है। ज्वाइन करते ही DTO शुक्ला के निर्देश पर परिवहन कार्यालय के विभिन्न कार्यों की फाइलें चक्कर रोड स्थित डीटीओ अनुराग शुक्ला के घर पहुंचाई जाने लगी है। डीटीओ ऑफिस से घर तक फाइलें पहुंचाने की जिम्मेदारी डीटीओ अनुराग शुक्ला द्वारा रखे गए निजी कर्मचारी धर्मेंद्र और मंगल की है। यही दोनों कर्मचारी एजेंटों से वसूली कर DTO शुक्ला तक पहुंचाते हैं। वसूली की तस्दीक होने के बाद ही डीटीओ शुक्ला इन फाइलों पर आदेश करते हैं। डायरेक्ट वाहन स्वामियों द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली फाइलों में अक्सर मीन मेख निकाल कर आवेदन निरस्त कर दिया जाता है । DTO कार्यालय से चक्कर रोड स्थित अनुराग शुक्ला के निवास पर ऑफिस की फाइलें लाने - ले जाने की पुष्टि जिला परिवहन कार्यालय सहित राह में कई स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज से की जा सकती है। डीटीओ अनुराग शुक्ला की कार्यप्रणाली से नाराज वाहन स्वामियों ने इन सब अनियमितताओं की जानकारी मुख्यमंत्री और लोकायुक्त तक पहुंचाई है। 

वसूली की पुष्टि के लिए आवेदन फॉर्म पर लिखे जाते हैं एजेंट के नाम, सेल्फ वालों पर खींचें जाते हैं दो √√ टिक

     एक भी आवेदक अपना काम बिना लिए-दिए ना करा पाए इसके लिए DTO अनुराग शुक्ला ने बकायदा अपना अलग सिस्टम बना रखा है। हर काम के आवेदन फार्म पर प्रस्तुतकर्ता एजेंट का नाम लिखना अनिवार्य है। यह नियम सरकार का नहीं है लेकिन इसके बिना वसूली की पुष्टि कैसे होगी सो डीटीओ शुक्ला द्वारा यह अनिवार्य रूप से लिखे जाने के निर्देश हैं। आवेदन मार्क करने या नोटशीट पर आदेश किए जाने के पूर्व DTO शुक्ला प्रस्तुतकर्ता का नाम अवश्य देखते हैं और फिर फाइल पर आदेश करते हैं। प्रस्तुतकर्ता के हर फार्म का रिकॉर्ड धर्मेंद्र और मंगल द्वारा नोट किया जाता है और फिर काम के हिसाब से उनसे अवैध सेवा शुल्क की वसूली कर ली जाती है। एजेंट के अलावा अगर कोई फॉर्म डायरेक्ट वाहन स्वामी द्वारा सेल्फ प्रस्तुत किया जाता है तो इस पर दो राइट टिक  ( √√ ) अंकित कर दिए जाते हैं या वाहन स्वामी का ही नाम लिख दिया जाता है। डीटीओ अनुराग शुक्ला की पदस्थापना के बाद से राइट टिक वाले या वाहन स्वामी के नाम वाले आवेदनों पर कितनी आपत्तियां लगी है और कितने फॉर्म निरस्त हुए हैं इसकी पुष्टि बकायदा रिकॉर्ड से की जा सकती है। नाराज वाहन स्वामी सारे मामलों की जानकारी लोकायुक्त तक पहुंचा रहे हैं। इन सब घटनाओं के चलते आने वाले दिनों में जिला परिवहन कार्यालय पर किसी बड़ी कार्यवाही की आशंका बलवती हो रही है।

न्यूज़ सोर्स : Khabarmantri News Network