भोपाल । लोकसभा चुनाव में भाजपा मप्र की सभी 29 सीटों को जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। इस रणनीति को सफल बनाने के लिए भाजपा लोकसभा चुनाव भी विधानसभा चुनाव की रणनीति पर लड़ेगी। इसके तहत भाजपा लोकसभा की दस सीटों पर फरवरी में ही अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर देगी। इसमे वे सीटें शामिल हैं जिनमें या तो प्रत्याशी बदले जाना हैं या फिर जिन सीटों के सांसद विधायक बन चुके हैं। साथ ही भाजपा 2019 में कम अंतर से हारने वाली लोकसभा सीटों पर भी अधिक फोकस कर रही है। इन सीटों पर भी चुनाव की घोषणा से पहले भाजपा प्रत्याशियों की घोषणा करेगी। 22 जनवरी को रामलला के अयोध्या में विराजने के बाद भाजपा की कोर कमेटी और प्रदेश प्रभारियों की बैठक भी जल्द हो सकती है। लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर होने वाली इस बैठक में पार्टी के सातों कलस्टर प्रभारियों को भी बुलाया जाएगा। इस बैठक में हर लोकसभा क्षेत्र में पृथक प्रभारियों को भी नियुक्त करने पर विचार किया जाएगा। ये प्रभारी कलस्टर प्रभारी के साथ समन्वय बनाकर काम करेंगे। इस बैठक में फिर से बूथ मजबूत करने के अभियान को भी अंतिम रूप दिया जाएगा। गौरतलब है कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव में बूथ मजबूत करने के साथ इस बात पर भी ध्यान दिया था कि ज्यादा से ज्यादा मतदाता वोट करें। इसके लिए कार्यकर्ताओं को जिम्मेवारी भी सौंपी गई थी।
भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गत दिवस दिल्ली में लोकसभा कलस्टर प्रभारियों की बैठक के बाद पार्टी के नेताओं के बीच हुई बैठक में इस बात पर सहमति बनी है। फरवरी में देश की 175 सीटों के लिए भाजपा अपने प्रत्याशियों का ऐलान करेगी, इसमें मध्यप्रदेश की भी दस सीटें शामिल होंगी। वहीं बूथ मजबूत करने 26 जनवरी के बाद से फिर अभियान चलाया जाएगा। गौरतलब है कि गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री ने देशभर के 146 कलस्टर के नवनियुक्त प्रभारियों की बैठक ली थी। सूत्रों की मानें तो इस बैठक के बाद पार्टी के शीर्ष नेताओं की भी बैठक हुई। इसमें तय किया गया कि विधानसभा चुनाव की तर्ज पर आकांक्षी सीटों और उन सीटों पर जहां पार्टी को कम मतों से जीत मिली थी, पर तीन महीने पहले टिकट देने का तय किया गया।
2019 के लोकसभा चुनाव में मप्र में भाजपा 29 में से 28 सीटें जीती थीं और उसके अधिकांश प्रत्याशी एक लाख से लेकर पांच लाख तक के रिकार्ड मतों से जीते थे। पर यहां भी दस सीटों पर जल्द टिकट देने का तय किया गया है। इस बार पार्टी ने विधानसभा चुनाव में सात सांसदों को मैदान में उतारा था। इनमें से पांच जीत गए हैं। इनमें सीधी सांसद रही रीति पाठक को छोडक़र तीन को मंत्रिमंडल में स्थान मिला है तो मुरैना से सांसद रहे नरेन्द्र सिंह तोमर विधानसभा अध्यक्ष हैं। वहीं मंडला से केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और सतना से सांसद गणेश सिंह चुनाव हार गए हैं। मुरैना, जबलपुर, दमोह, सीधी, होशंगाबाद सीटों के नेता अब विधायक बन चुके हैं और लोकसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे चुके हैं। इन सीटों पर नए प्रत्याशियों का उतरना तय है। वहीं मंडला और सतना सांसदों के टिकट को लेकर भी संशय है। इसके अलावा भोपाल, विदिशा से भी पार्टी चेहरे बदल सकती है। छिंदवाड़ा में भी नए चेहरे का उतरना तय है। माना जा रहा है कि यहां से भाजपा प्रदेश के किसी बड़े नेता को चुनाव मैदान में उतार सकती है।
भाजपा की कोशिश इस बार प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों को जीतने की है। यह सीटें मोदी की गारंटी पर जीतने की उम्मीद लगाई जा रही है। पार्टी हर लोकसभा सीट पर मोदी की गारंटी ही प्रचारित कर रही है। वहीं सरकार ने भी मिशन मोदी पर काम शुरु कर दिया है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी ग्वालियर से चुनाव लड़ाने की चर्चाएं चल रही हैं। यदि राज्यसभा सदस्यों को लोकसभा चुनाव लड़ाया गया तो कविता पाटीदार को इंदौर से चुनाव लड़ाया जा सकता है। यहीं प्रदेश अध्यक्ष चीडी शर्मा सुरक्षित सीट भोपाल से चुनाव लड़ सकते हैं।
भाजपा के जो सांसद विधायक बने हैं उन सीटों पर उम्मीदवारों की खोज शुरु हो गई है। इनमें मुरैना, होशंगाबाद, सीधी, दमोह और जबलपुर सीटें शामिल हैं। वहीं विधानसभा चुनाव हारे सतना सांसद गणेश सिंह और मंडला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते पर टिकट कटने की तलावार लटक रही है। उधर, पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से उनके निवास पर मुलाकात की है। अनूप मिश्रा की सीएम से हुई इस मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि वह मुरैना से पार्टी प्रत्याशी हो सकते हैं। मुरैना से सांसद रहे नरेन्द्र सिंह तोमर अब विधानसभा अध्यक्ष हैं। गौरतलब है कि अनूप मिश्रा विधानसभा चुनाव में भी ग्वालियर पूर्व से दावेदार थे पर किन्हीं कारणों से उन्हें टिकट नहीं मिल पाया था। मिश्रा मुरैना से पहले भी सांसद रहे चुके हैं। यहां ब्राह्मण वोटों की अधिकता को देखते हुए पार्टी उन्हें एक बार फिर चुनाव मैदान में उतार सकती है। वहीं राज्यसभा सांसद और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। वे ग्वालियर से चुनाव लड़ेंगे या फिर अपनी पुरानी सीट गुना-शिवपुरी से इस पर विचार चल रहा है।