नई दिल्ली । राज्यों को नई प‎रिभाशा देकर केंद्र सरकार ने बाइक टैक्सी कारोबार का रास्ता साफ कर ‎दिया है। इसके तहत केंद्र ने राज्य सरकारों को परामर्श अधिसूचना जारी की है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 22 जनवरी को यह अधिसूचना जारी की थी, जिसका शीर्षक है- ‘मोटरसाइकल मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2(7) के तहत ‘ठेके पर चलने वाली गाड़ी’ की परिभाषा के दायरे में आती है’ शीर्षक से यह अ​धिसूचना जारी की थी। इस का उद्देश्य देश में मोटरसाइकिलों को कानूनी तौर पर अनुबंध गाड़ी के तौर पर संचालित करने की अनुमति देना है। इससे परिवहन के नए विकल्प उपलब्ध होंगे और लोगों के लिए आय के अवसर भी पैदा होंगे। मोटर वाहन अ​धिनियम के अनुसार ठेके वाली गाड़ी उस वाहन को कहा जाता है जो पहले से तय शर्तों के साथ सवारियों की आवाजाही के लिए किराये पर लिया जाता है। इसमें वाहन को तय किराये पर एक निश्चत दूरी या नि​श्चित अव​धि के लिए दिया जाता है। 
‎नियमें के अनुसार इसमें रास्ता तय होना जरूरी नहीं है। परामर्श अ​धिसूचना में कहा गया है, ‘स्पष्ट किया जाता है कि मोटर वाहन अ​धिनियम की धारा 2 (28) के अनुसार जिन वाहनों में चार पहिये न हों और इंजन 25 सीसी से ज्यादा का हो, उन्हें भी मोटर वाहन की श्रेणी में शामिल किया गया है। ऐसे में मोटरसाइकल भी इस अ​धिनियम की धारा 2(7) के दायरे में आएगी।’ ​कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार की अ​​धिसूचना बाइक टै​क्सियों की कानूनी ​स्थिति को स्पष्ट करती है। ऐसे में राज्यों को मोटरसाइकल परमिट को टैक्सी में शामिल करने के लिए प्रक्रिया और दिशानिर्देश दुरुस्त करने होंगे। 
हालां‎कि विशेषज्ञों ने यह भी उल्लेख किया है कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में किसी तरह का संशोधन नहीं किया गया है। यह स्पष्टीकरण उस समय आया है, जब राज्य सरकारों और कैब एग्रीगेटरों के बीच कानूनी लड़ाई चल रही है। ऐसा खास तौर पर उन राज्यों में दिख रहा है जहां बाइक टैक्सी को परिभा​​षित नहीं किया गया है। इस मामले में एग्रीगेटरों का कहना है कि बाइक टैक्सी न केवल सस्ते परिवहन एवं आजीविका के अवसर पैदा करती है ब​ल्कि वह सार्वजनिक परिवहन नेटवर्कों के बीच खाई को भी पाटती है।