भोपाल। प्रदेश कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को ओबीसी आरक्षण के मुददे पर घेरने की तैयारी कर ली है। लोकसभा चुनाव में मप्र कांग्रेस ओबीसी आरक्षण को मुद्दा बनाएगी। कांग्रेस चुनाव अभियान में शासकीय नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ युवाओं को नहीं दिए जाने को लेकर भाजपा पर हमलावर होगी। साथ ही बताया जाएगा कि कांग्रेस की तत्कालीन कमल नाथ सरकार ने ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उसे फिर 14 प्रतिशत पर ला दिया है। इससे पिछड़ा वर्ग को 13 प्रतिशत का नुकसान हो रहा है।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का कहना है कि सरकार केवल ओबीसी हितैषी होने का केवल दिखावा करती है। ओबीसी युवाओं को उनका अधिकार मिले, इसके लिए अब तक ठोस प्रयास नहीं किए हैं। स्थानीय निकायों चुनाव में भी ओबीसी आरक्षण रोकने का प्रयास किया और आरोप कांग्रेस पर मढ़ दिया लेकिन सच्चाई सामने आ चुकी है। पार्टी अपने चुनाव प्रचार अभियान में इस बात को प्रमुखता से उठाएगी और बताएगी कि देश और प्रदेश में किस तरह से ओबीसी, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के साथ अन्याय हो रहा है। राहुल गांधी इसी बात को तो उठा रहे हैं और जब जाति आधारित गणना होगी तो स्थिति सबके सामने आ जाएगी। उल्लेखनीय है कि नियुक्तियों में 13 प्रतिशत पद ओबीसी आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण रोककर रखे जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को हवा दी थी। कांग्रेस ने सरकार में आते ही विधानसभा में लोकसेवाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का विधेयक पारित कराकर व्यवस्था लागू कर दी थी पर कोर्ट-कचहरी में यह मामला ऐसा उलझा कि इसका लाभ अब तक नहीं मिल पाया है। भाजपा इसके लिए कांग्रेस की दोषपूर्ण व्यवस्था को दोषी बताती है पर कांग्रेस दावा करती है कि साढ़े तीन वर्ष सत्ता में रहने के बावजूद ओबीसी को उसका अधिकार दिलाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। जितनी भी नियुक्तियां हो रही हैं, उनमें 14 पद प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के अनुसार ही पद मिल रहे हैं। 13 प्रतिशत पद रोककर रखे गए हैं। इसको लेकर मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।