भोपाल । प्रदेश के अतिथि विद्वानों को अब प्रतिदिन दो हजार रुपये मानदेय मिलेगा।  अभी तक अतिथि विद्वानों को मात्र 1500 रुपए मिल रहे थे। अब प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में शिक्षण कार्य करवा रहे अतिथि विद्वानों को अधिकतम मासिक मानदेय प्रतिमाह 50 हजार रुपये मिलेगा। उच्च शिक्षा विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। यह एक अक्टूबर से लागू होगा। इससे प्रदेश के करीब 4500 अतिथि विद्वानों को लाभ मिलेगा। इसी बीच प्रदेश के कालेजों में नियमित शिक्षकों के रिक्त पदों पर अतिथि विद्वानों को आमंत्रित करने के आदेश जारी किए गए हैं। इस बार पहली बार अतिथि विद्वानों को साल में 13 दिन का आकस्मिक और तीन दिन ऐच्छिक अवकाश दिया जाएगा। इस बार आवेदन आनलाइन होंगे। आदेश के अनुसार अतिथि विद्वानों के लिए योग्यता संबंधित विषय, सह विषय में न्यूनतम नेट, एमपी सेट या पीएचडी उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसमें अनुभव के अंक भी दिए जाएंगे। प्राचार्यों को निर्देशित किया गया है कि अतिथि विद्वान के कार्य पर उपस्थित होने पर उसकी उपस्थिति उसी दिन में शाम 5:30 बजे तक अनिवार्य रूप से आनलाइन माड्यूल में दर्ज किया जाए। फालेन आउट (विस्थापित) अतिथि विद्वान भी जिले और संभाग स्तर के महाविद्यालयों में खाली पदों पर च्वाइस फिलिंग के माध्यम से भर्ती में शामिल हो सकेंगे। इसके साथ ही मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सहायक प्राध्यापक, क्रीड़ाधिकारी, ग्रंथपाल भर्ती परीक्षा में अनारक्षित श्रेणियों में चयनित अतिथि विद्वानों के लिए 25 प्रतिशत पद आरक्षित रहेंगे। बता दें, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 11 सितंबर को अतिथि विद्वानों की महापंचायत में 50 हजार रुपये निश्चित मासिक वेतन देने की घोषणा की थी। हालांकि इस आदेश से अतिथि विद्वानों में नाराजगी है। उनका कहना है कि विभाग द्वारा जारी आदेश में प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय मिलने से 50 हजार रुपये से कम मानदेय होगा, जबकि मुख्यमंत्री ने निश्चित मासिक वेतन 50 हजार रुपये तक देने की घोषणा की थी।