जबलपुर ।   हाई कोर्ट की युगलपीठ ने पीएससी-2019 परीक्षा के रिजल्ट तैयार करने संबंधी एकलपीठ के पूर्व आदेश पर रोक लगा दी। इस अंतरित आदेश के साथ ही मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव, विधि एवं विधायी कार्य विभाग के सचिव सहित तीन दर्जन से अधिक उम्मीदवारों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया। मामले की अगली सुनवाई पांच फरवरी को होगी।

दो मुख्य परीक्षाओं में उलझी गुत्थी

दरअसल, 23 अगस्त को न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने पीएससी-2019 परीक्षा के मामले में पीएससी को निर्देश दिए थे कि पहली मुख्य परीक्षा और बाद में हुई स्पेशल मुख्य परीक्षा के परिणामों को मिलाकर उनका नार्मलाइजेशन करने के बाद रिजल्ट जारी करें। पीएससी ने इस आदेश के विरुद्ध युगलपीठ के समक्ष यह अपील प्रस्तुत की है।

नए सिरे से बना था फार्मूला

एकलपीठ ने दो सौ से अधिक याचिकाओं को आंशिक रूप से स्वीकार कर मप्र लोक सेवा आयोग को निर्देश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि पहली मुख्य परीक्षा में 1918 के साथ स्पेशल मेन्स में बैठे 2712 उम्मीदवारों के रिजल्ट को मिलाकर उनका नार्मलाइजेशन किया जाए। इससे पहले पीएससी स्पेशल मेन्स के बाद नए सिरे से 87-13 प्रतिशत के फार्मूले से रिजल्ट जारी कर साक्षात्कार की प्रक्रिया शुरू की थी।

हाई कोर्ट का आदेश

एकलपीठ के आदेश के बाद नए सिरे से कार्रवाई करनी थी। हालांकि हाई कोर्ट ने कहा था कि पहली मेन्स में उत्तीर्ण उम्मीदवारों को उनके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। इस मामले को लेकर कुछ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित हैं। पीएससी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह, हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह व अंशुल तिवारी ने पक्ष रखा।