हर कोई अपने जीवन में सुख शांति पाना चाहता है और इसके लिए लोग प्रयास भी कर रहे हैं मगर फिर भी उनके जीवन में परेशानियां व दुख कम होने का नाम नहीं लें रहे हैं या फिर कार्यों में सफलता नहीं मिल रही है तो इन सब के जिम्मेदार ग्रहदोष भी हो सकते हैं।


 

ज्योतिष अनुसार अगर किसी जातक की कुंंडली में कालसर्पदोष विद्यमान होता है तो व्यक्ति को अपने जीवन में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है साथ ही साथ उसे धन हानि भी उठानी पड़ती है ऐसे में अगर आप कालसर्पदोष से पीड़ित है और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं।

 

तो नियमित रूप से स्नान आदि करने के बाद शिव शंकर का ध्यान करते हुए नाग कवच का मन ही मन ग्यारह बार पाठ करें मान्यता है कि इस चमत्कारी पाठ को करने से कालसर्पदोष से छुटकारा मिलता है साथ ही साथ शारीरिक और मानसिक परेशानियां भी समाप्त हो जाती हैं, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं नाग कवच पाठ।

 

नाग कवच पाठ-

ध्यान

नागराजस्य देवस्य कवचम सर्वकामदम्
बुशिरस्य महादेवो गायत्री चंदा एरीता: ईरितह:
ताराबीजम शिवशक्ति: क्रोधबिजस्तु कीलकह:
देवता नागराजस्तु फनमनी विराजिताः
सर्वकमर्धा सिद्धयार्दे विनियोगह:प्रकीर्तितह:

नाग कवच

अनंतोमे शिरः पातु काण्टम संकर्षण स्तथा
कर्कोटाको नेत्र युग्मं कपिलः कर्मयुग्मकम
वक्षस्थलं नागा यक्ष बाहुकाल भुजंगमः
उदरं धृतराष्ट्रस्च वज्रनागस्तु प्रुष्ट्कं
मरमांगम् अश्वसेनास्थु पादावस्वतरोवतु
वासुकिः पातुमाम् प्राच्ये आग्नेयांतु धनंजयः
तक्षको दक्षिणे पातु नैऋत्यां शंकपालकः
महापद्मः प्रतीच्यांतु वायव्यां शंकनीलकः
उत्तरे कंबलः पातु ईशान्यम् नागभैरवः
उर्ध्यमच ऐरावतो धस्तात नागभेताला नायकः
सदा सर्वत्रमां पातुम नागा लोकाधिनायकः

इति श्री नाग कवच ||