एशियाई देशों में भारत में सबसे अच्छी घरेलू मांग बनी रहेगी क्योंकि निवेशकों में इसे लेकर रुचि बनीं हुई है। मॉर्गन स्टेनली ने एक रिपोर्ट में कहा कि निवेशक विशेष रूप से विकास की स्थिरता पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि मूल्यांकन और नए निवेश को सही ठहराने के लिए उच्च चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि की आवश्यकता होगी। 

मॉर्गन स्टेनली ने भारत में घरेलू मांग बने रहने के कारण भी बताए हैं।

वैश्विक निवेशक बैंक मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि भारत की नॉमिनल जीडीपी वृद्धि 2023 के 9.2 प्रतिशत की तुलना में 11.6 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। यह लगातार तीसरा वर्ष होगा जब नॉमिनल जीडीपी वृद्धि एशिया में सबसे मजबूत होगी। मॉर्गन स्टेनली के अनुसार एशियाई और वैश्विक विकास में भारत का योगदान क्रमशः 30 प्रतिशत और 17 प्रतिशत हो जाएगा, जो 2023 के 28 प्रतिशत और 16 प्रतिशत से अधिक है। 

मध्यम अवधि में, वैश्विक निवेश बैंक की मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री उपासना छाचर ने अनुमान लगाया है कि वित्तीय वर्ष 2031-32 तक भी वास्तविक जीडीपी वृद्धि औसतन 6.3 प्रतिशत होगी। मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि भारत में उपभोग में सुधार के संकेत दिख रहे हैं और यह अपेक्षाकृत कम तथा मध्यम आय वर्ग में फैल रहा है।

चेतन अह्या, डेरिक वाई काम, किउशा पेंग, जोनाथन चेउंग द्वारा लिखित 'द व्यूपॉइंट: इंडिया- एड्रेसिंग द डिबेट विद इन्वेस्टर्स' शीर्षक वाली रिपोर्ट में ये बातें कही गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता क्षेत्र में भी विकास हुआ है। छोटी कंपनियों के नए उत्पादों और नवाचार में वृद्धि हुई है। छोटी कंपनियों के उत्पाद बड़ी कंपनियों के उत्पादों की जगह लेने में सफल हो रहे हैं।

भारत में पूंजीगत व्यय पर जीडीपी अनुपात में निवेश में निरंतर वृद्धि हो सकती है। यह वित्तीय वर्ष 2022-23 के 31.2 प्रतिशत से बढ़कर 2024-25 में 33.5 प्रतिशत और 2026-27 तक 36 प्रतिशत हो जाएगा। 

वैश्विक एफडीआई प्रवाह में भारत की हिस्सेदारी 2017 से बढ़ी है और कॉरपोरेट क्षेत्र से आने वाली घोषणाओं के आधार पर, आपूर्ति शृंखला विविधीकरण प्रयासों से होने वाले लाभ पाइपलाइन में हैं और आने वाले 2-3 वर्षों में ये अमल में आएंगे।