नई दिल्ली । केंद्र सरकार द्वारा न्याय संहिता से जुड़े तीन बिल अनुसूचित हो चुके हैं।इन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल चुकी है। लेकिन इन्हें एक साथ देश भर में लागू कर पाना संभव नहीं है।
भारतीय न्याय संहिता, साक्ष्य संहिता और सुरक्षा संहिता में नई तकनीकी को समाहित किया गया है। सभी राज्यों में अभी यह तकनीकी थानों में उपलब्ध नहीं है। इस तरीके का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं है। इस स्थिति को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तय किया है,कि जिन राज्यों में इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं है। उनमें पुराने कानून के अनुसार ही काम होगा। जहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर है। उन राज्यों में तीनों कानून को लागू किया जाएगा।
केंद्र सरकार जल्द से जल्द तीनों नए कानून को लागू करना चाहती है। इसमें कई समस्याएं सामने आ रही हैं। केंद्र सरकार ने अब इस मामले में राज्य सरकारों को छूट दी है, कि वह इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होने तक पुराने कानून को लागू करें। जल्द से जल्द नया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करें। केंद्र शासित प्रदेशों में 100 फ़ीसदी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार है। 31 जनवरी से केंद्र शासित प्रदेशों में तीनों नए कानून लागू कर दिए जाएंगे। बाकी सभी राज्य अपने-अपने हिसाब से समीक्षा कर कानून को लागू करेंगे।


राज्यों को 2000 करोड़ की सहायता
केंद्र सरकार ने नया ढांचा तैयार करने के लिए राज्यों को 2000 करोड रुपए जारी किए हैं।इस राशि से सभी राज्यों को अपने सभी थानों को अपग्रेड करना होगा। देश में 6 नई फॉरेंसिक साइंस लैब तैयार की जाएगी। गृह मंत्रालय राज्यवार और जिलेवार सभी थानों में किस तरह का अपग्रेड किया जाना है।इसकी सूची तैयार करा रहा है।


तीन नये कानून लागू करने में चुनौतियां
सभी राज्यों के 257 थानों में वाहन उपलब्ध नहीं है। 638 पुलिस थानों में टेलीफोन की व्यवस्था नहीं है।
143 पुलिस थानों में वायरलेस और मोबाइल की सुविधा नहीं है।
पंजाब अरुणाचल उड़ीसा जैसे संवेदनशील राज्यों के थानों में बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण नए कानून का क्रियान्वयन संभव नहीं हो पा रहा है।
नए नियमों के अनुसार देशभर में 1।53 लाख सब इंस्पेक्टर की नियुक्ति होनी चाहिए, जबकि अभी मात्र 99 हजार ही कार्यरत हैं।
पुलिस बल में 9।77 लाख से ज्यादा कांस्टेबल की जरूरत है। वर्तमान में सभी राज्यों में मिलाकर 8।10 लाख कांस्टेबल उपलब्ध हैं। जिसके कारण केंद्र सरकार ने खंड-खंड में नए कानूनो को लागू करने का निर्णय लिया है।नए और पुराने कानून का खेल अभी कई महीनो तक चलता रहेगा।