शरीर नश्वर है, जीवन और मृत्यु इसके दो पहलू है। सृष्टि का नियम है जब जन्म होता है तभी मृत्यु होती है। यदि मृत्यु न हो तो जन्म भी नहीं होंगे। सृष्टि ने संतुलन बनाया है तभी तो मृत्यु और जन्म को समय दिया है। किसी को नहीं मालूम व्यक्ति मरने के बाद कहॉं जाता है? कहीं न कहीं, किसी न किसी योनी में तो जाता ही होगा ? रुप बदल सकता है, स्थान बदल सकता है, योनी बदल सकती है, धर्म बदल सकता है लेकिन पुनः जन्म तो होता ही होगा, बस यह निर्भर करता होगा आपके किए गए कर्मो पर और उसी के आधार पर आपको अलग जन्म मिलेगा क्योंकि ईश्वर का हिसाब बहुत पक्का है।
हम तर्पण करते है, श्राद्ध करते है, मरने वाले की मुक्ति के लिए अनेकों दान, पुण्य और प्राथर््ाना करते है, लेकिन मृत व्यक्ति के कर्म , मृत्यु के समय ग्रहों एवं नक्षत्रों की स्थिती , उसकी आयु, उसका वर्ग और मृत्यु की दशा, इसी से निर्धारित होता है अगली योनी का । भूत, प्रेत, पिशाच, चुड़ैल ऐसे ही अनेकों नामों की भी अपनी एक योनी है । जिस मृत आत्मा को कहीं जगह नहीं मिलती होगी वे ही इस योनी में आते होंगे, प्राचीन काल, समय,शास्त्र भी तो गवाह है इसी बात के। 
हमारे पास एक केस आया था विवाहित महिला का। दिन हो या रात , वे जब भी बिस्तर पर सोने जाती थी तो उन्हें लगता था कि कोई उनके साथ सहवास कर रहा है। सहवास के दौरान उत्पन्न होने वाली सभी स्थितियॉं उनके साथ उसी तरह होती थी। आधी रात के बाद होने वाली इन स्थितियों में उनके पति देखकर भी उनकी मदद करने के लिए अपनी जगह से हिल भी नही पाते थे। उस स्त्री की हालत दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही थी, चेहरा भी सफेद पड़ता जा रहा था, हमने ‘ डाउजिंग ’ एवं अपनी शक्ति साधना के द्वारा यह जाना कि उनके साथ कुछ मैली तंत्र शक्तियॉं जुड़ी है, हमने अपने इघ्टदेव श्री घंटाकर्ण महावीरजी की मंत्र साधना एवं आध्यात्मिक चिकित्सा - ‘ मंत्र हिलिंग ’ द्वारा बिना किसी अजीबोगरीब हरकत करवाए उनकी पूरी क्रियाऐं की, प्रार्थनाऐं की, हिलिंग की और मात्र कुछ दिनों कि मेहनत के बाद वे पूरी तरह स्वस्थ हो गई। ऐसी सभी क्रियाऐं हम बेहद  शांतिपूर्ण तरीके से करते है। आवश्यकता पड़ने पर फोन पर भी व्यक्ति को तुरंत आराम प्रदान करते है। आप टी वी पर जैसे नाचते-कूदते देखते है वैसा तो बिल्कुल नहीं होता है। 
शक्तियों से लबरेज व्यक्ति तो ऐसे व्यक्तियों को पहचान सकता है लेकिन एक साधारण व्यक्ति कैसे जाने? हमारे अनुभव के आधार पर कुछ लक्षण तो निम्न है -
1ः स्थिर भाव से एकटक किसी भी चीज को घूरना या घूरते रहना।
2ः बात करते-करते बार - बार उपर देखना और उपर देखकर बात करना।
3ः ऑंखों कि पुतलियों ( रैटिना ) का स्थिर रहना।
4ः व्यक्ति या वस्तु को कुछ अजीब तरीके से घूरना। 
5ः अचानक गंदगी पसंद या इसका उल्टा अर्थात अत्यधिक सुगंध पसंद हो जाना।
6ः अधिक मात्रा में शराब, सिगरेट, मांसाहार आदि चीजों का शौकीन हो जाना।
7ः आधी रात के बाद शरीर में कुछ अजीब सा लगना, अपने आप में कुछ परिवर्तन पाना, गुप्त अंगों पर भारीपन या जलन का लगना। 
  लक्षण कुछ और भी हो सकते है लेकिन उपरोक्त को हम प्रमुख में ले सकते है।
अभिमंत्रित, मंत्रोप्पचारित पेंडूलम के द्वारा की जाने वाली ‘ डाउजिंग ’ ही यहॉं आपकी मदद कर सकती है, यह आपके लिए अति सूक्ष्म एक्सरे मशीन का कार्य करती है। व्यक्ति सामने हो या न हो, ‘ डाउजिंग ’ के माध्यम से उसके गर्भ में आने से लेकर वर्तमान एवं भविघ्य की स्थिती तक की संपूर्ण जानकारी निकाली जा सकती है। एक बार स्थितियों की गहराई तक पहुचते ही कार्य शुरु किया जा सकता है। हॉं, ऐसे किसी भी केस में साधक को अपनी रक्षा-सुरक्षा भी रखना होती है।
अभी चंद दिन पहले की ही बात है, एक व्यक्ति के घर पर रात को पत्थर आते थे, उससे उनकी घर की छत तक क्षतिग्रस्त हो गई थी। हमने अपनी क्रियाऐ की और उनके घर में नियमित कपूर जलवाना शुरु किया और देखते ही देखते सारी घटनाऐं समाप्त हो गई। 
कुछ लोग कहते है कि भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र कुछ नहीं होता, किसी ने देखा है क्या ? लेकिन देखा तो ईश्वर को भी नहीं है परन्तु उन पर सभी की अटूट श्रद्धा है। देखा तो हवा को भी किसी ने नहीं है लेकिन महसूस तो सभी करते है। 
यदि जन्म है, मृत्यु है, आकाश है, पृथ्वी है, विज्ञान है तो यह सब भी है। हॉं, अंधविश्वास के लिए यहॉं कोई जगह नहीं है सिर्फ विश्वास आधारित ही सब होता है। डाउजिंग एस्ट्रोलॉजर एवं आध्यात्मिक मंत्र साधक के लिए अनहोनी को होनी करना असंभव नहीं है।