शूरवीरों की धरती कहे जाने वाले मेवाड़ के प्रवेश द्वार भीलवाड़ा जिले के मालासेरी डूंगरी में विष्णु के अवतार भगवान श्री देवनारायण का अवतरण हुआ था. यहां पर भगवान पहाड़ चिरकर एक कमल के फूल में अवतरित हुए थे. मान्यता है कि जब कलयुग की शुरुआत हुई, तब भगवान श्री देवनारायण ने यहां अवतार लिया और तब से जनकल्याण में लग गए. इसके बाद से गुर्जर समाज सहित कई समाज के भक्त देश और विश्व भर से यहां भगवान के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.

प्रभु के साथ शेषनाग और वाहन गरुण ने भी लिया था जन्म
इस जगह की सबसे खास बात यह है कि यहां भगवान शेषनाग की भी गुफा है और विष्णु के वाहन गरुड़ ने भी लीलाधर (नीले घोड़े) के रूप में यहां जन्म लिया था. कहा जाता है कि यहां की जो धरती 1111 साल पहले थी, आज भी वही प्रकृति के रूप में ढ़ली हुई है. यहां पर आने वाले तमाम भक्तों की न केवल मनोकामनाएं पूरी होती हैं, बल्कि हर दु:ख-दर्द मिट जाते हैं. भगवान श्री देवनारायण के दर्शन के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एक भक्त के रूप में यहां पहुंचे थे.

भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति में स्थित मालासेरी डूंगरी मंदिर के महंत हेमराज पोसवाल ने कहा कि कलयुग के प्रथम चरण में भगवान विष्णु ने विक्रम संवत 968 में मालासेरी डूंगरी में पहाड़ चीरकर कमल के फूल में देवनारायण के रूप में अवतरित हुए थे और भगवान श्री देवनारायण ने जन कल्याण के लिए सभी जातियों का उद्धार किया. आज भी पूरे देश और विश्वभर में भगवान श्री देवनारायण की गाथाएं सुनाई जाती हैं, जो अपने आप में बहुत प्रचलित है.

जानें क्या खास है इस डूंगरी में
मालासेरी डूंगरी के महंत हेमराज पोसवाल ने कहा कि भगवान श्री देवनारायण की जन्मस्थली मालासेरी डूंगरी के पत्थर किसी भी पहाड़ से नहीं मिलते हैं. यही नहीं, भगवान विष्णु का जो शेषनाग है, वह भी यहां पर उनकी गुफा भी बनी हुई है और भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ के रूप में नीले रंग के घोड़े लीलाधर ने भी यहां जन्म लिया था.