सूरत डायमंड बोर्स के रूप में दुनिया के हीरा उद्योग को मिलेगा एक नया नजराना


गांधीनगर | गुजरात की आर्थिक राजधानी माना जाने वाला सूरत डायमंड और टेक्सटाइल क्षेत्र में विकास की नई क्षितिजें पार कर रहा है, जिसमें सूरत के खजोद इलाके में निर्मित ‘सूरत डायमंड बोर्स’ (एसडीबी) राज्य और देश के आर्थिक विकास के लिए एक मील का पत्थर बनेगा। आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण पहल समान ‘डायमंड बोर्स’ सूरत के हीरा उद्योग को एक नई चमक प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 17 दिसंबर को इस डायमंड बोर्स का उद्घाटन करेंगे, जो 35.54 एकड़ के विशाल क्षेत्र में सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट (सीबीडी) और सामाजिक, व्यापारिक एवं शैक्षणिक ढांचागत सुविधाओं के साथ अति महत्वाकांक्षी ‘सूरत ड्रीम सिटी’ के एक हिस्से के रूप में बना है। 3400 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से निर्मित दुनिया के सबसे बड़े कॉर्पोरेट ऑफिस हब की शुरुआत के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित केंद्र और राज्य के मंत्री, डायमंड बोर्स के चेयरमैन वल्लभभाई लखाणी, निदेशक मथुरभाई सवाणी, गोविंदभाई धोलकिया, लालजीभाई पटेल, सूरत डायमंड इंस्टीट्यूट के चेयरमैन दिनेशभाई नावड़िया और बोर्स कमेटी के सदस्यों सहित हीरा उद्योग के दिग्गज मौजूद रहेंगे। डायमंड मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में सूरत विश्व प्रसिद्ध है, तब इस बोर्स के साकार होने पर सूरत अब डायमंड ट्रेडिंग का भी हब बन जाएगा। इसके साथ ही सूरत की विकास गाथा में एक और अध्याय जुड़ जाएगा। बोर्स बनाने का मुख्य उद्देश्य भारत से हीरा, जेम्स और ज्वैलरी के आयात-निर्यात और व्यापार को बढ़ावा देना है, साथ ही डायमंड प्रोडक्शन और बिजनेस से जुड़ी छोटी-बड़ी कंपनियों और एमएसएमई को अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर एवं डायमंड ट्रेडिंग का ग्लोबल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराना है। इस बोर्स के निर्माण से दुनिया के 175 देशों के व्यापारियों को सूरत में पॉलिश्ड डायमंड की खरीदी करने का एक अनूठा प्लेटफॉर्म मिलेगा। खास बात यह है कि, इस विश्व स्तरीय प्रोजेक्ट को किसी एक व्यक्ति या कंपनी ने नहीं, बल्कि 4200 व्यापारियों ने साथ मिलकर साकार किया है। इससे पहले दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग का खिताब अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन के नाम पर था, लेकिन अब दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग का स्थान गुजरात के सूरत में 67 लाख वर्ग फुट में निर्मित डायमंड बोर्स बिल्डिंग ने ले लिया है। इतना ही नहीं, नौ टॉवरों में फैली यह बिल्डिंग ग्रीन बिल्डिंग है, जिसे इनोवेशन तथा ग्रीन एनर्जी में सर्वोच्च ‘प्लेटिनम ग्रेडेशन’ प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही यहां दुनिया में श्रेष्ठ सारी सुविधाएं भी मुहैया कराई गई हैं। दुनिया की सबसे ऊंची सरदार पटेल साहेब की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’, सबसे बड़ा सोलर रिन्यूएबल एनर्जी पार्क-चारणका और अहमदाबाद में दुनिया के सबसे बड़े नरेन्द्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम जैसे अनेक आयामों से गुजरात की एक विशिष्ट पहचान बनी है। इसी तरह, अब सूरत का डायमंड बोर्स दुनिया का सबसे विशाल कॉर्पोरेट ऑफिस हब बनेगा। यहां देश और दुनिया के हीरा कारोबारियों को एक नया विश्व स्तरीय व्यापार केंद्र मिलेगा, जिसका सीधा लाभ राज्य और देश की अर्थव्यवस्था को मिलेगा, साथ ही इससे हजारों लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।

डायमंड बोर्स दुनिया की सबसे बड़ी इंटरकनेक्टेड बिल्डिंग है। बोर्स की 4500 से अधिक ऑफिसें एक-दूसरे के साथ जुड़ी हुई हैं। यहां दुनिया भर के डायमंड रॉ-मैटेरियल की नीलामी, रफ, कट और पॉलिश किए गए हीरे, स्टटेड ज्वैलरी, डायमंड, गोल्ड, सिल्वर और प्लेटिनम ज्वैलरी सहित हाई वैल्यू गुड्स बड़ी मात्रा में खरीद-बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। यहां 27 इंटरनेशनल ज्वैलरी शो रूम बनेंगे, जिसमें देश-विदेश से आने वाले व्यापारी तथा उनके परिजन डायमंड ज्वैलरी खरीद सकेंगे। सूरत के हीरा उद्योग में सालाना 2 लाख करोड़ रुपए का कारोबार होता है, डायमंड बोर्स के साकार होने से यह आंकड़ा बढ़कर 4 लाख करोड़ रुपए होने की संभावना है, अर्थात केवल एसडीबी के जरिए ही सालाना 2 लाख करोड़ रुपए का व्यापार होगा। इससे राज्य और केंद्र सरकार को टैक्स की आय में बड़ा लाभ होगा। डायमंड बोर्स में 131 हाई स्पीड लिफ्ट लगाई गई हैं, जिनकी स्पीड प्रति सैकेंड 3 मीटर की है। अत्याधुनिक डेस्टिनेशन कंट्रोल सिस्टम के जरिए लिफ्ट का मैनेजमेंट होगा, इससे किसी भी व्यक्ति को 16वीं मंजिल तक पहुंचने में केवल 3 मिनट लगेंगे। 35.54 एकड़ में फैले इस पूरे बोर्स परिसर के 15 एकड़ क्षेत्र में पंच तत्व की थीम पर आधारित केवल गार्डन एरिया है। यह उद्यान वास्तु शास्त्र के अनुसार नौ ग्रहों के अधीन बनाया गया है। यहां हर ऑफिस को सूर्य की रोशनी मिलेगी। आदर्श वास्तु शास्त्र के अनुसार दो टॉवरों के बीच पर्याप्त दूरी होने के कारण सभी ऑफिसों को पर्याप्त हवा और सूर्य प्रकाश मिलेगा। कोई भी व्यक्ति, व्यापारी या आगंतुक बोर्स के 9 टॉवरों में से चाहे किसी भी टॉवर में प्रवेश करे, उसे किसी भी ऑफिस में पहुंचने के लिए केवल 3 मिनट लगेंगे। बोर्स के कमेटी सदस्य पद्मश्री मथुरभाई सवाणी ने कहा कि, तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने 15 फरवरी, 2015 को सूरत के मगदल्ला के समीप खदोज में ड्रीम सिटी (डायमंड रिसर्च एंड मर्केंटाइल सिटी) प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। पटेल ने इसके साथ ही ड्रीम सिटी प्रोजेक्ट में शामिल सूरत डायमंड बोर्स प्रोजेक्ट का भी भूमिपूजन किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भी बोर्स को तेजी से पूरा करने में उम्दा सहयोग दिया था। सूरत डायमंड बोर्स दुनिया का सबसे बड़ा ट्रेडिंग मार्केट बनेगा। डायमंड बोर्स के आकार लेने के बाद दुनिया के देस पॉलिश किए गए डायमंड की खरीदी के लिए सूरत का रुख करेंगे, जिससे सूरत का नाम वैश्विक स्तर पर स्थापित होगा। बोर्स में 4200 से अधिक ऑफिसों का निर्माण किया गया है। यहां सूरत, मुंबई के अलावा विदेश के हीरा कारोबारियों ने ऑफिस खरीदी हैं। इसके चलते अब एक ही स्थान पर रफ डायमंड और पॉलिश्ड डायमंड की ट्रेडिंग होगी। इसके अलावा, 1.5 लाख लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। 
सवाणी ने कहा कि वैश्विक नेता और विजनरी लीडर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सूरत डायमंड बोर्स का उद्घाटन करेंगे, जो भारत और दुनिया के व्यापार जगत के लिए एक ऐतिहासिक कदम के रूप में अंकित होगा। डायमंड मैन्युफैक्चरिंग में वैश्विक उपलब्धि हासिल करने के बाद सूरत अब डायमंड ट्रेडिंग का भी हब बनेगा, इस पर खुशी व्यक्त करते हुए मथुरभाई सवाणी ने आगे कहा कि, यह बोर्स प्लेटिनम, सिल्वर, डायमंड और लैब ग्रोन डायमंड (प्रयोगशाला में निर्मित हीरा) के वन स्टॉप डेस्टिनेशन के रूप में उभरेगा। यह बोर्स दुनिया के हर कोने के बायर्स के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। जानी-मानी डायमंड कंपनियों के अलावा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) के ऐसे उद्योगकार जो मुंबई में ऑफिस खरीदने में असमर्थ थे, उन्होंने भी यहां ऑफिसें खरीदी हैं। इससे अब सीधे विदेशी बायर्स के साथ कनेक्टिविटी मिलेगी। जिसका सीधा लाभ सभी व्यापारियों को होगा। बोर्स में ‘जीरो लिक्विड डिस्चार्ज’ दृष्टिकोण के अंतर्गत 1800 केएलडी (किलो लीटर प्रतिदिन) क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के माध्यम से वेस्ट वाटर यानी अपशिष्ट जल की रीसाइक्लिंग की जाएगी। यहां 400 किलोवाट क्षमता का सोलर पावर प्लांट भी स्थापित किया गया है, जिससे प्रदूषण नियंत्रण के साथ-साथ पर्यावरण को भी सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। डायमंड बोर्स को काफी कम समय में तेजी से निर्मित करने में राज्य सरकार और सूरत महानगर पालिका तथा जिला प्रशासन के अधिकारियों से मिले समुचित सहयोग के लिए डायमंड बोर्स के चेयरमैन श्री वल्लभभाई लखाणी ने आभार व्यक्त किया है। इससे पहले हीरा उद्योग से जुड़े लोगों की मुश्किलों का जिक्र करते हुए वल्लभभाई ने कहा कि, “सूरत मैन्युफैक्चरिंग का पावर हाउस है, जबकि मुंबई डायमंड ट्रेडिंग का हब है। इसके चलते व्यापारियों को दोनों शहरों में अपनी ऑफिस रखनी पड़ती थीं। जिससे अन्य खर्चों के साथ ही संचालन खर्च भी अधिक होता था। लेकिन अब बोर्स के बनने से हीरे तराशने और पॉलिश करने में दुनिया में अव्वल सूरत में ही डायमंड ट्रेडिंग की व्यवस्था उपलब्ध होगी।” लखाणी ने आगे कहा कि, प्रधानमंत्री ने बोर्स के सदस्यों को नई हाइड्रोजन एनर्जी के उपयोग का रचनात्मक सुझाव दिया था ताकि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में योगदान दिया जा सके। हम उनके इस सुझाव पर अमल करने की दिशा में आगे बढ़े हैं। 
सूरत डायमंड इंस्टीट्यूट के चेयरमैन दिनेशभाई नावड़िया ने कहा कि ‘सूरत डायमंड बोर्स’ में भारत का सबसे बड़ा कस्टम क्लीयरेंस हाउस बनेगा, यह भी किसी अजूबे से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा को साकार करने का संकल्प किया था, वैसा ही संकल्प उन्होंने सूरत के हीरा उद्योग को नई चमक और गति देने के लिए किया है। इस बोर्स का निर्माण उनके ही विजन के अनुरूप हुआ है, जिसमें राज्य और केंद्र सरकार का सदैव सहयोग मिला है। इस तरह, दुनिया के हीरा उद्योग को सूरत डायमंड बोर्स के रूप में एक अनूठा नजराना मिलेगा और गुजरात का सूरत हीरा उद्योग के क्षेत्र में वैश्विक फलक पर चमकेगा, साथ ही यह बोर्स (एसडीबी) ग्लोबल टूरिस्ट प्लेस के रूप में प्रसिद्ध होगा।
एसडीबी बनेगा डायमंड के अंतरराष्ट्रीय व्यापार का केंद्र बिंदुः यहां व्यापारियों को मिलेंगी बहुआयामी सुविधाएं
65 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में निर्मित सूरत डायमंड बोर्स में विशाल एंट्री गेट और रिसेप्शन, सिक्योरिटी सर्विलांस तथा कंट्रोल रूम, ट्रेडिंग हॉल, सेल्फ डिपॉजिट वोल्ट, म्यूजियम, फूड जोन, बैंक, कस्टम ऑफिस, एम्फी थियेटर, मनी ट्रांसफर डेस्क, ट्रैवल डेस्क, रीटेल जोन, ऑक्शन हाउस, सिक्योरिटी कंट्रोल रूम और डायमंड क्लब जैसी बहुआयामी सुविधाएं विकसित की गई हैं। बोर्स में 300 वर्ग फुट से लेकर 1,00,000 वर्ग फुट क्षेत्र वाली अलग-अलग साइज की ऑफिसें बनी हैं। बोर्स में 2 बेजमेंट, ग्राउंड फ्लोर के अलावा 15 मंजिलों वाले कुल 9 टॉवर बने हैं। बोर्स के विशाल परिसर में 11,000 टू-व्हील और 5100 फोर व्हील गाड़ियों के लिए पार्किंग सुविधा है। पॉलिश्ड और रफ डायमंड ऑक्शन के लिए ऑक्शन हाउस की सुविधा, इजरायल की सी-फोर-आई टेक्नोलॉजी युक्त, सेंट्रल कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से संचालित और 4000 से अधिक सीसीटीवी कैमरों के साथ हाईटेक एडवांस सिक्योरिटी सिस्टम के जरिए इस इमारत में अभेद्य सुरक्षा कवच तैयार किया गया है।
दुनिया के हर 10 में से 8 हीरों की कटिंग और पॉलिशिंग सूरत में होती है
हीरा उत्पादन में सूरत शहर वैश्विक एपिसेंटर है। आज दुनिया के हर 10 में से 8 हीरे की कटिंग, पॉलिशिंग और प्रोसेसिंग सूरत में होती है। भारत के कुल हीरा निर्यात में गुजरात की हिस्सेदारी 80 फीसदी है। गुजरात के 90 फीसदी हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग सूरत में होती है। हीरा उद्योग प्रत्यक्ष रूप से 9 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है, इसलिए ही सूरत को ‘सिल्क सिटी स्पार्कलिंग विद डायमंड’ कहा जाता है।
वैश्विक नजराना बने सूरत डायमंड बोर्स (एसडीबी) की एक झलक
•    67,000 लोगों, व्यापारियों और आगंतुकों के काम करने और आने-जाने की समायोजन क्षमता
•    हाई सिक्योरिटी चेकपॉइंट्स, पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम, एंट्री गेट पर कार स्कैनर्स
•    67 लाख वर्गफुट में निर्माण कार्य और 4500 से अधिक डायमंड ट्रेडिंग की ऑफिसें
•    बिल्डिंग यूटिलिटी सर्विसेज की निगरानी और नियंत्रण के लिए बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम (बीएमएस)
•    300 वर्ग फुट से 1,00,000 वर्ग फुट तक की अलग-अलग आकार वाली ऑफिसें
•    प्रत्येक टॉवर को प्रत्येक मंजल से कनेक्ट करने वाले स्ट्रक्चर ‘स्पैन’ की लंबाई 1407 फुट और चौड़ाई कम से कम 24 फुट
•    आयात-निर्यात के लिए कस्टम क्लीयरेंस हाउस की सुविधा
•    स्पैन में 4 अलग-अग सेफ (लॉकर) वोल्ट की सुविधा
•    प्रत्येक ऑफिस से गार्डन व्यू
•    स्पैन के कॉमन पैसेज को ठंडा रखने के लिए रेडिएंट कूलिंग सिस्टम (3,40,000 रनिंग मीटर पाइप)
•    ग्राउंड फ्लोर पर सदस्यों के लिए बैंक, रेस्टोरेन्ट, डायमंड लैब आदि की सुविधाएं
•    संपूर्ण एलिवेशनः चारों ओर से ग्रेनाइट और कांच से कवर
•    फ्लोर हाइटः ग्राउंड फ्लोर-21 फुट, ऑफिस-13 फुट
•    मेन सेरेमोनियल एंट्री की ऊंचाईः 229 फुट
•    इलेक्ट्रिकल सिस्टम में केबल के स्थान पर बसबार ट्रंकिंग सिस्टम (बीबीटी) का उपयोग
•    यूटिलिटी सर्विस के लिए अलग बिल्डिंग की व्यवस्था
•    सेंट्रलाइज्ड कूलिंग सिस्टम (चिलर एंड कूलिंग टावर)
•    प्रत्येक दो टॉवरों के बीच 6,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में गार्डनः स्पैन में प्रत्येक फ्लोर पर गार्डन युक्त एट्रीयम
•    प्रत्येक टावर में लग्जुरियस एंट्रेंस फोयर
•    एक्सेस कंट्रोल सिस्टम – टचलेस और कार्डलेस
•    54,000 मीट्रिक टन लोहे के सरिये का उपयोग
•    5 लाख क्यूबिक मीटर कंक्रीट का उपयोग
•    11.25 लाख वर्ग फुट एलिवेशन ग्लास
•    12 लाख रनिंग मीटर, इलेक्ट्रिकल और आईटी फाइबर वायर, 5.50 लाख रनिंग मीटर एचवीएसी, फायर फाइटिंग और प्लम्बिंग पाइप
•    5 एंट्री, 5 एग्जिट और 7 पेडेस्ट्रियन गेट