षटतिला एकादशी का व्रत माघ कृष्ण एकादशी तिथि को रखा जाता है. इस साल षटतिला एकादशी व्रत 6 फरवरी दिन मंगलवार को है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव का कहना है कि इस बार षटतिला एकादशी की तिथि 5 फरवरी को शाम 05:24 पीएम से 6 फरवरी को शाम 04:07 पीएम तक है. 6 फरवरी को व्रती को स्नान के बाद व्रत और पूजा का संकल्प करना चाहिए. शुभ समय में भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उस दौरान षटतिला एकादशी व्रत की कथा पढ़नी चाहिए. आइए जानते हैं षटतिला एकादशी व्रत की कथा, पूजा मुहूर्त और पारण समय के बारे में.

षटतिला एकादशी व्रत कथा
एक बार भगवान विष्णु ने नारद जी को षटतिला एकादशी की व्रत विधि और महत्व के बारे में बताया. इस व्रत के महत्व को जानने के लिए षटतिला एकादशी की कथा भी सुनाई. पौराणिक कथा के अनुसार, धरती पर एक नगर में ब्राह्मण दंपत्ति रहते थे. एक दिन पति की मृत्यु हो गई, जिससे उसकी पत्नी विधवा हो गई. वह विधवा ब्राह्मणी भगवान विष्णु की भक्ति में अपना समय व्यतीत करती थी. हर मास में एकादशी का व्रत रखती थी.

उस ब्राह्मणी की श्रद्धा और भक्ति को देखकर भगवान विष्णु प्रसन्न हो गए. एक दिन वे साधु का रूप धारण करके एस ब्राह्मणी के पास भिक्षा मांगने पहुंच गए. उस ब्राह्मणी ने उनको अन्न आदि न देकर मिट्टी का एक पिंड दान कर दिया. कुछ देर बाद भगवान विष्णु उस पिंड के साथ बैकुंठ धाम चले गए.

समय व्यतीत होता गया और एक दिन उस ब्राह्मणी की मृत्यु हो गई. व्रत से अर्जित पुण्य के कारण ब्राह्मणी को बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त हुआ. वहां पर उसे एक झोपड़ी मिली और वहां एक आम का पेड़ था. उस झोपड़ी में कुछ भी नहीं था. उसने श्रीहरि से पूछा कि पूरे जीवन व्रत और पूजा पाठ करने के बाद उसे बैकुंठ में स्थान तो मिल गया लेकिन उसकी झोपड़ी खाली क्यों है.