मुंबई । इस सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों की दिशा अंतरिम बजट, अमेरिकी केंद्रीय बैंक के नीतिगत ब्याज दर पर निर्णय और कंपनियों के तिमाही प‎रिणामों से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है। विश्लेषकों का कहना है कि इसके अलावा निवेशक आगे के संकेतों के लिए विदेशी निवेशकों की गतिविधियों तथा वैश्विक रुख पर नजर रखेंगे। व्यापक आर्थिक मोर्चे पर विनिर्माण क्षेत्र के लिए पीएमआई का आंकड़ा गुरुवार को आएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करेंगी। फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक 30 और 31 जनवरी को होगी। बाजार ‎विशेषज्ञों ने कहा ‎कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर निर्णय से पहले बाजार एक दायरे में रहेगा। माना जा रहा है कि इस बैठक में अमेरिकी केंद्रीय बैंक ब्याज दर को यथावत रखेगा और आगे नीतिगत दर में कटौती की समयसीमा के बारे में संकेत देगा। इसके अलावा बीओई (बैंक ऑफ इंग्लैंड) की मौद्रिक नीति भी आने वाली है। साथ ही कुछ प्रमुख आर्थिक आंकड़े भी आएंगे, जिससे शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव रह सकता है। उन्होंने कहा ‎कि इसके अलावा इस सप्ताह कई दिग्गज कंपनियां अपने तिमाही प‎रिणाम जारी करेंगी। ऐसे में बाजार में शेयर विशेष गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं। सप्ताह के दौरान अडाणी ग्रीन एनर्जी, बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व, मारुति सुजुकी इंडिया, टाइटन और इंटरग्लोब एविएशन अपने तिमाही नतीजों की घोषणा करेंगी। उन्होंने कहा ‎कि यह सप्ताह महत्वपूर्ण है। सप्ताह के दौरान बजट का महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। यह आमतौर पर आगे बाजार की दिशा तय करता है। बाजार के जानकार कहते हैं ‎कि आगे चलकर प्रमुख देशों के नीतिगत दर पर निर्णय जैसे वैश्विक कारक बाजार को प्रभावित करेंगे।मौजूदा तिमाही नतीजों के सीजन की वजह से बाजार में शेयर विशेष गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह आम चुनाव से पहले अंतरिम बजट है। ऐसे में इसमें बड़ी घोषणाओं की उम्मीद नहीं है। बाजार के जानकारों का मानना है कि बजट में वृद्धि की रूपरेखा को कायम रखने पर जोर होगा। साथ ही इसमें कुछ लोकलुभावन घोषणा भी हो सकती है। बजट, तिमाही नतीजे और अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दर पर निर्णय से बाजार को दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा कि घरेलू कारकों के अलावा बाजार वैश्विक घटनाक्रमों से प्रभावित होगा। इनमें भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के अलावा अमेरिका में बांड पर प्रतिफल, डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल और कच्चे तेल के दाम शामिल हैं।