इस्लामाबाद । पाकिस्तान की कंगाली के बीच शहबाज के प्रमुख मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अमेरिका में रह रहे पाकिस्तानियों को बेशर्म कहा है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि ये लोग हैं जो यहां सिर्फ लाशों को दफनाने के लिए आते हैं। उनके बयान को एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ पाकिस्तानी-डिसेंट ऑफ नॉर्थ अमेरिका ने आड़े हाथों लिया है। पाक नेशनल असेंबली में रक्षा मंत्री आसिफ द्वारा हाल ही में की गई टिप्पणी की कड़ी निंदा की है।
अपने भाषण के दौरान, आसिफ ने संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में पाकिस्तानी प्रवासियों का जिक्र करते हुए निंदा और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था। आसिफ ने कहा, पाकिस्तान के बाहर बैठे अंग्रेजी बोलने वाले कह रहे हैं कि रेमिटेंस बंद कर दिया जाएगा... रेमिटेंस खाड़ी देशों द्वारा भेजा जाता है। कोई कनाडा में रह रहा है, कोई अमेरिका में... ये बेशर्म लोग हैं, ये वतन में आकर सिर्फ लाशों को दफनाने के लिए आते हैं और फिर वापस चले जाते हैं।
वहीं मंत्री आसिफ की टिप्पणी की एपीपीएनए ने कड़ी आलोचना की है। अमेरिका में पाकिस्तानियों के लिए काम करने वाले संगठन ने उन्हें उत्तरी अमेरिका और यूरोप में पाकिस्तानियों के प्रति स्पष्ट रूप से तिरस्कारपूर्ण करार दिया।  एपीपीएनए ने जोर देकर कहा कि पश्चिमी दुनिया, विशेष रूप से उत्तरी अमेरिका में रहने वाले पाकिस्तानी डायस्पोरा ने हमेशा पाकिस्तान के कल्याण को प्राथमिकता दी है। राष्ट्र के लिए उनकी अनगिनत सेवाओं ने उन्हें सम्मान और गौरव प्रदान किया है, जिससे वे वैश्विक समुदाय में पाकिस्तान के सच्चे राजदूत बन गए हैं।
संगठन ने आसिफ की अपमानजनक टिप्पणियों पर अपनी निराशा व्यक्त कर इस पर जोर दिया कि राजनीतिक मतभेदों को घृणास्पद बयानबाजी से रहित नागरिक संवाद के माध्यम से संबोधित किया जाना चाहिए।  एपीपीएनए ने रक्षा मंत्री आसिफ की टिप्पणियों पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की, विशेष रूप से उनके इस दावे पर कि उत्तरी अमेरिका या यूरोप के प्रवासी पाकिस्तानी केवल अपने बुजुर्गों को दफनाने या संपत्ति बेचने के उद्देश्य से पाकिस्तान जाते हैं।
संगठन ने इन टिप्पणियों को अपमानजनक और बेहद खराब माना, इस बात पर बल दिया कि ऐसी भावनाओं को कभी भी स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।  एपीपीएनए ने नेशनल असेंबली के सदस्यों के प्रति भी निराशा व्यक्त की, जिन्होंने आसिफ के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। संगठन ने सुझाव दिया कि एनए अध्यक्ष को इस बयान पर गौर करना चाहिए था और इन घृणित शब्दों को संसदीय रिकॉर्ड से निकाल देना चाहिए था।