Chanakya Niti: महान गुरु आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति से बहुत लोगों का मार्गदर्शन किया है। उनके द्वारा लिखी गई नीति शास्त्र समाजिक और राजनीतिक जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाता है। उनकी बनाई नीतियां लोगों के लिए आज भी सफलता का सिद्धांत साबित होती हैं। चाणक्य भले ही आज नहीं हैं लेकिन उनकी नीतियों को लोग आज भी पढ़ते हैं और उसमें लिखी बातों का आज भी पालन करते हैं।

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में व्यक्ति की उन आदतों के बारे में बताया है जो उसे दरिद्र बना देती हैं। इन बुरी आदतों के कारण व्यक्ति अपना जीवन बरबाद कर देते हैं और अंत में कंगाल हो जाते हैं। आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य ने मनुष्य की वो कौन सी बुरी आदतों के बारे में बताया है जो उसका पतन करती हैं। 

गंदगी से रहना
आचार्य चाणक्य ने जो पहली बुरी आदत मनुष्य के बारे में बताई है वह गंदी तरह से रहना है। जो उसके विनाश का कारण बनती है। जो लोग गंदे रहते हैं और साफ कपड़े नहीं पहनते हैं। ऐसे लोग सदैव दरिद्र रहते हैं और जीवन में कभी कुछ नहीं प्राप्त कर पाते हैं। गंदगी से रहना इनके लिए अभिशाप बन जाता है। इसलिए इन लोगों को ये आदत तुरंत त्याग देनी चाहिए नहीं तो इनका पतन होना तय हो जाता है।

बिना सोचे समझे धन खर्च करना
जिन लोगों का खर्चों पर नियंत्रण नहीं रहता है वो शीघ्र ही कंगाल हो जाते हैं। आचार्य चाणक्य ने व्यक्ति की गरीबी के ये लक्ष्ण बताते हुए कहा कि जो लोग अपनी कमाई से ज्यादा पैसा खर्च करते हैं और नियम पूर्वक अपने व्यय पर लगाम नहीं लगाते हैं। उनका एक न एक दिन कंगाल होना निश्चित होता है। इसलिए व्यक्ति को चाहिए की जरूरत पड़ने वाली चीजों पर ही धन का उचित व्यय करें।

संध्या सूर्यास्त के समय सोने वाली आदत
सूर्यास्त का समय सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार जो लोग संध्या में सूर्य के अस्त होने के समय सोते रहते हैं वह महा दरिद्र होते हैं। यह समय मां लक्ष्मी की वंदना के लिए होता है और जो लोग इस समय सोते रहते हैं उन पर मां लक्ष्मी कभी कृपा नहीं करती और जीवन भर वह कंगाल बने रहते हैं।

आलस्य में पड़े रहना
मनुष्य का सबेस बड़ा शत्रु आलस्य होता है। चाणक्य ने अपनी नीति में कहा है कि जो लोग आलसी स्वभाव के होते हैं, ऐसे व्यक्ति संसार के लिए बोझ के समान होते हैं। यह जीवन में कभी भी सफल नहीं बन पाते हैं। इस आदत को शीघ्र छोड़ देना चाहिए और जीवन के अनेक महत्वपूर्ण अवसरों को प्राप्त कर मनुष्य को आगे बढ़ते रहना चाहिए। चाणक्य ने अंत में बताया है कि आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।

कटु वचन बोलने वाले लोग
आचार्य चाणक्य ने मनुष्य की कंगाली का सबसे बड़ा लक्ष्ण उसकी कड़वी बोली को बताया है। उनका कहना है कि जो लोग ऊंची आवाज में लोगों से बात करते हैं और लोगों को सदैव अपशब्द कहते हैं मां लक्ष्मी उनसे तुरंत नाराज हो जाती हैं और उनके बने बनाए काम एक बोली की वजह से बिगड़ जाते हैं। इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि वो हमेशा लोगों से मीठे बोल बोले और उनसे अच्छा व्यवहार बना कर रखे।