हिन्दू धर्म में भगवान शिव को प्रमुख देवताओं में से एक माना जाता है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हैं. हिन्दू धर्म की परंपराओं में जितने भी मन्त्र हैं, उन सभी का अपना एक विशेष महत्व है. साथ ही इनका उच्चारण करने से कई लाभ भी प्राप्त होते हैं. आज की व्यस्त जीवनशैली के कारण हर व्यक्ति योग और अध्यात्म का सहारा लेकर अपने जीवन से तनाव और चिंता मिटाना चाहता है. “ॐ नमः शिवाय” मंत्र को आत्मा की शुद्धि, तनाव मुक्ति का एक आसान मंत्र माना गया है. सनातन धर्म ग्रंथों में जो मंत्र बताए गए हैं, उन मंत्रों का जाप करने से एक प्रकार का कंपन्न उत्पन्न होता है, जो जीवन को सकारात्मकता देता है. तो चलिए जानते हैं दिल्ली के रहने वाले ज्योतिष आचार्य आलोक पाण्ड्या से भगवान शिव के मंत्र “ॐ नमः शिवाय” के शक्तिशाली प्रभाव और उसके महत्व के बारे में.

ओम नमः शिवाय मंत्र का महत्व
भगवान भोलेनाथ को समर्पित इस मंत्र को पंचाक्षर मंत्र भी कहा जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि इस मंत्र में पंच तत्वों का समायोजन है. मान्यता के अनुसार इस मंत्र के पहले अक्षर “ॐ” से सूर्य का निर्माण हुआ है. “ॐ” अक्षर भगवान शिव को प्रिय भी है, इसलिए जब हम “ॐ” कहते हैं, तो भगवान शिव के साथ-साथ सूर्य देव की आराधना भी होती है. वहीं “नमः शिवाय” का अर्थ ही भगवान शिव के चरणों में ख़ुद का समर्पण, इसलिए हिन्दू धर्म में इस मंत्र का जाप प्रतिदिन करने के लिए कहा गया है.

ओम नमः शिवाय मंत्र जपने के लाभ
1- हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करने से ही व्यक्ति में तेज उत्पन्न होता है.
2- जो व्यक्ति इस मंत्र का प्रतिदिन उच्चारण करते हैं. उन व्यक्तियों का व्यवहार और उनका व्यक्तित्व आकर्षक बनता है.
3- इसके अलावा ऐसे व्यक्ति के जीवन के सभी संकट दूर होते हैं.
4- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है.
5- मान्यता के अनुसार इस मंत्र का जप करने से व्यक्ति के अंदर की नकारात्मकता दूर होती है और उसके जीवन में खुशियां आती हैं.
6- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करने से भगवान भोलेनाथ के साथ सूर्यदेव की कृपा भी मिलती है.
7- सूर्यदेव को नौ ग्रहों का राजा माना जाता है, ऐसे में यदि कुंडली में सूर्य देव शांत होंगे तो अन्य सभी ग्रह भी शांत हो जाएंगे.