संकट मोचन हनुमानजी को कलयुग का राजा माना गया है. ऐसा माना जाता है कि आज भी वह किसी न किसी रूप में भक्तों को खुद के होने का आभास कराते रहते हैं. वैसे तो हनुमानजी के सभी मंदिरों की काफी मान्यताएं हैं, लेकिन मां नर्मदा के किनारे स्थित इस हनुमान मंदिर की कहानी अद्भुत है. यहां विराजित बजरंगबली अपने सिंदूरी रूप में भक्तों पर कृपा बरसा रहे हैं.

मां नर्मदा करने आती हैं दर्शन!
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमानजी को सिंदूर अति प्रिय है और मंगलवार को सच्चे मन के साथ हनुमानजी को जो भी सिंदूर लगाता है उसकी समस्त मनोकामनाएं जरूर पूर्ण होती हैं. जबलपुर के तिलवारा घाट स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर के पुजारी दामोदर दास के मुताबिक, मां नर्मदा के किनारे स्थित हनुमानजी के मंदिरों की विशेष मान्यताएं होती हैं. बताया कि मां नर्मदा स्वयं यहां पर आकर हनुमान जी के दर्शन करती हैं और उन्होंने इस बात का अनुभव स्वयं किया है. बताया कि कोई सुबह-सुबह इस मंदिर में जरूर आता है और बाहर से दर्शन कर चला जाता है.

ताकि महिलाएं न छुएं प्रतिमा
पुजारी के अनुसार, हनुमानजी एक ब्रह्मचारी हैं और शास्त्रों के अनुसार किसी भी स्त्री को ब्रह्मचारी का स्पर्श नहीं करना चाहिए. इसलिए मंदिर में हनुमानजी की प्रतिमा के इर्द-गिर्द पारदर्शी शेड लगाया गया है, जिससे महिलाएं हनुमानजी की प्रतिमा को न छुएं. साथ ही एक ब्रह्मचारी को स्पर्श करने के पाप से भी दूर रहें. पुजारी जी ने बताया कि हनुमानजी के मंदिरों में जाकर प्रतिमा को छूने की महिलाओं को इजाजत नहीं है, जिसके चलते 24 घंटे उनकी प्रतिमा के इर्द-गिर्द पारदर्शी शेड लगा रहता है.

बंदर आते हैं पाठ सुनने
पुजारी जी ने बताया कि जब-जब मंदिर में हनुमान चालीसा या रामायण का पाठ होता है तब श्रीराम की वानर सेना भी यहां मंदिर में आकर बैठ जाती है. हनुमान चालीसा के पाठ और रामायण के पाठ को सुनती है. उनका कहना है कि बंदर उस समय आते हैं, पाठ सुनते हैं और चले जाते हैं. न किसी भक्त को छेड़ते हैं और न कोई भक्त उन्हें छेड़ता है.