केंद्र सरकार ने बाघ गणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं। मध्य प्रदेश 785 बाघों के साथ अव्वल रहा है। इस तरह मध्य प्रदेश ने अपना टाइगर स्टेट का दर्जा कायम रखा है। दूसरे स्थान पर कर्नाटक है, जहां 563 बाघ हैं, जबकि उत्तराखंड में 560 और महाराष्ट्र में 444 बाघ मिले हैं।केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने शनिवार को बाघ गणना 2022 के राज्यवार आंकड़े जारी किए। वन मंत्री ने ट्वीट कर मध्य प्रदेश को बधाई दी।

उन्होंने लिखा- 'मध्य प्रदेश को बधाई! नई बाघ गणना के आंकड़ों में 785 बाघों के साथ मध्य प्रदेश देश का सबसे अधिक बाघ वाला राज्य बना हुआ है। यह मध्य प्रदेश की बाघों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाता है। स्थानीय समुदाय की भागीदारी के साथ गहन संरक्षण और निगरानी से ही यह संभव हो सका है।' मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 'अत्यंत हर्ष की बात है कि हमारे प्रदेशवासियों के सहयोग और वन विभाग के अथक प्रयासों के फलस्वरूप, चार वर्षों में हमारे प्रदेश में जंगल के राजा बाघों की संख्या 526 से बढ़कर 785 हो गई है। मैं पूरे प्रदेश की जनता को, वन एवं वन्यप्राणियों के संरक्षण में उनके सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद और बधाई देता हूं। आइये हम सब मिलकर अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर भावी पीढ़ियों के लिए प्रकृति संरक्षण का पुनः संकल्प लें।'

2006 में बाघ संरक्षण प्रयासों को गति दी गई थी। इसके बाद से लगातार बाघों की संख्या बढ़ ही रही है। 2006 में 300 बाघों के साथ मध्य प्रदेश सबसे अधिक बाघों वाला राज्य था। इसके बाद 2010 में यह घटकर 257 हो गए और तब मध्य प्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा कर्नाटक ने छीन लिया था। 2014 में मध्य प्रदेश में 308 बाघ थे और 2018 में 526 बाघ। 2018 में मध्य प्रदेश ने सिर्फ दो बाघ अधिक होने की वजह से कर्नाटक से एक बार फिर टाइगर स्टेट का दर्जा छीन लिया था। इसके बाद मध्य प्रदेश ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। चार साल में प्रदेश में 259 बाघ बढ़े, जबकि कर्नाटक में सिर्फ 39 बाघ। अब मध्य प्रदेश और कर्नाटक का अंतर 2018 के दो बाघ से बढ़कर 2022 में 222 का हो गया है।