भोपाल ।    पटवारी परीक्षा के विरोध में कल पूरे प्रदेश के छात्र वल्लभ भवन के सामने आंदोलन के लिए एकत्रित होंगे। अलग-अलग जिलों से लगभग तीन हजार से अधिक छात्र यहां पर पहुंचेंगे। यह सभी छात्र पटवारी परीक्षा में हुई भर्तियों की गड़बड़ी का विरोध कर रहे हैं। गौरतलब है कि 15 फरवरी को सरकार ने विवादित पटवारी भर्ती में नियुक्तियों के आदेश जारी किए। इसके बाद से पूरे प्रदेश में ज्ञापन, धरने, कैंडल मार्च के माध्यम से छात्र इन नियुक्तियों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं।

अधिकारियों के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई 

NEYU (नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन) संगठन के बैनर तले भोपाल में होने वाले इस आंदोलन के लिए इंदौर से भी बड़ी संख्या में छात्र जा रहे हैं। छात्रों का कहना है बिना जांच रिपोर्ट जारी किए सरकार पिछले दरवाजे से पेपर खरीदने वालों को नियुक्ति दी जा रही है। इस पूरी परीक्षा में 45 से 50% घोटाला हुआ है। यदि निष्पक्ष जांच होती तो यह तमाम लोग जेल में होते। सरकार डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के नाम पर चंद फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले छात्रों पर कार्यवाही की बात कर रही है लेकिन मध्यप्रदेश में फर्जी प्रमाण पत्र बनाने का जो गोरख धंधा जो अलग-अलग जिलों में जारी है उन एक भी अधिकारियों के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। NEYU के रंजीत किसानवंशी ने बताया हमारे संगठन की सरकार से स्पष्ट मांग है इन नियुक्तियों पर तत्काल सरकार रोक लगाई राजेंद्र कुमार वर्मा कमेटी के द्वारा की गई जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करें।

मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड यानी ESB के सर्वर की टेक्निकल जांच की गई 

छात्रों का आरोप है कि इस मामले में एक सदस्य जांच कमेटी के पास जांच के तकनीकी संसाधन नहीं थे, ऐसे में यह जांच केवल बयानों के आधार पर हुई है। एक व्यक्ति का प्रदेशभर में शिकायतों की जांच करना आसान काम नहीं है क्योंकि यहां ऑनलाइन परीक्षा है। इस मामले में कई तकनीकी पहलू हैं। ऐसे में बिना टेक्निकल एक्सपर्ट के सभी पहलुओं की जांच करना संभव नहीं है। 

इन सवालों के जवाब दें मुख्यमंत्री -

मध्यप्रदेश में हजारों परीक्षा केंद्र थे फिर ग्वालियर के एक परीक्षा केंद्र से 10 में से 7 टॉपर व प्रदेश के केवल तीन परीक्षा केंद्रों में से 50 में से 34 टॉपर कैसे आ गए ?
क्या टॉपर से बातचीत करके उनके बयान लिए गए क्या उनके बीच के आपसी संबंध व कनेक्शन को चेक किया गया ?
क्या टॉपर की दसवीं 12वीं की मार्कशीट की जांच की गई क्योंकि कुछ अभ्यर्थी ऐसे भी हैं जिन्होंने 10वीं और 12वीं की परीक्षा 35% नंबरों से प्राप्त की। यहां तक की पटवारी के एक दो माह पूर्व प्रतियोगिता परीक्षाओं में भी इनके प्राप्तांक इनका कमजोर अभ्यर्थी होना दर्शाता है और पटवारी भर्ती परीक्षा में टॉपर हैं ?
कुछ अभ्यर्थी ऐसे भी थे जो वनरक्षक भर्ती परीक्षा में फिट थे लेकिन पटवारी भर्ती परीक्षा में एयर हैंडिकैप्ड यानी उन्हें कानों से सुनाई नहीं देता यह कैसे संभव है ?
टॉपर का लॉग इन टाइम चेक किया गया जिससे यह पता चले कि उसने कितने बजे सिस्टम पर लॉगिन किया ?
क्या टॉपर की सीआरएल यानि कैंडिडेट रेस्पॉन्स लॉग की जांच की गई जिसे पता चलता है कि छात्र ने कब और कितने समय में कौन सा जवाब दिया कब उसने जवाब के विकल्प को बदला क्या पेपर को 3 घंटे में हल किया या आधे एक घंटे में ही सारे जवाब फील कर दिए ?