लंदन। बाढ़, महाद्वीप और महासागरों के तापमान, बर्फ की चट्टानों के टूटने और भूकंप के दौरान जमीन खिसकने से जुड़ी जानकारी देने वाला सैटेलाइट धरती पर गिर गया है। यूरोप में इस दादा कहा जाता है। सैटेलाइट दो टन (2000 किग्रा) वजन वाली है, जिसका नाम ईआरएस-2 है। प्रशांत महासागर के ऊपर वायुमंडल में यह जल गई। इसे किसी ने आसमान में जलते हुए या मलबे को पृथ्वी की सतह तक पहुंचते हुए नहीं देखा है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) ने ईआरएस-2 के जोड़े को 90 के दशक में लॉन्च किया था। इसका काम वातावरण, भूमि और महासागरों की जांच करना था।
दोनों सैटेलाइटों ने बाढ़, महाद्वीप और महासागरों के तापमान, बर्फ की चट्टानों के टूटने और भूकंप के दौरान जमीन खिसकने से जुड़े डेटा वैज्ञानिकों को दिए। ईआरएस-2 ने विशेष तौर से पृथ्वी की सुरक्षा करने वाली ओजोन परत का आकलन करने की नई क्षमता पेश की। यह पहले से तय था कि सैटेलाइट अनियंत्रित होकर धरती पर गिरेगी। किसी सटीक जगह गिराने के लिए इसमें किसी भी तरह का ईंधन नहीं था। रडार ने इसके गिरने पर नजर रखी थी।ईएसए ने कहा कि सैटेलाइट का अंत कैलिफोर्निया से लगभग 2000 किमी पश्चिम में अलास्का और हवाई के बीच उत्तरी प्रशांत महासागर के ऊपर हुआ। ईएसए के इस सैटेलाइट को यूरोप में पृथ्वी का अवलोकन करने वाले उपग्रहों का दादा कहा जाता है। एयरबस अर्थ ऑब्जर्वेशन बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर डॉ राल्फ कॉर्डी ने कहा कि टेक्नोलॉजी के संदर्भ में आप ईआरएस से लेकर सेंटिनल सैटेलाइटों तक एक लाइन बना सकते हैं, जो आज ग्रह की निगरानी कर रहे हैं। ईआरएस ही है, जहां से सब शुरू हुआ।ईआरएस-2 को 2011 में रिटायर कर दिया गया था। तब यह धरती से 780 किमी की ऊंचाई पर था। वैज्ञानिकों ने उस दौरान इसकी ऊंचाई कम करते हुए 570 किमी की थी। उस समय इसके कंट्रोलर ने कहा था कि सैटेलाइट का ईंधन टैंक खाली है और इसकी बैटरी पूरी तरह डिस्चार्ज है। उम्मीद थी कि ऊपरी वायुमंडल अंतरिक्ष यान को लगभग 15 वर्षों में धरती पर खींच लाएगा।