उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश योगनगरी से पहले भगवान विष्णु की नगरी कहलाती है. वैसे तो ऋषिकेश में सभी तीज त्योहारों और व्रत पर मंदिरों के दर्शन के लिए भक्तों की लाइन लगी रहती है, लेकिन एकादशी के दिन नजारा कुछ अलग होता है. ऋषिकेश के भरत मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ दिखाई देती है. हिंदू पंचांग के अनुसार 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी (Paush Putrada Ekadashi 2024) का व्रत रखा जाएगा. इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए ऋषिकेश के भरत मंदिर आते हैं और सुख-संपदा का आशीर्वाद मांगते हैं. वहीं इस दिन पूजा पाठ और व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होने की भी मान्यता है.

लोकल 18 के साथ बातचीत में ऋषिकेश के श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि पुत्रदा एकादशी का व्रत साल में दो बार रखा जाता है. एक पौष के महीने में, तो दूसरा सावन माह में. इस साल 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इन दोनों ही दिन नियम अनुसार व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. पौष पुत्रदा एकादशी का यह व्रत सुबह 7.26 बजे से शुरु होगा और शाम को 7.26 बजे समाप्त होगा.
ब्रह्मा योग में भगवान विष्णु के साथ करें मां लक्ष्मी की पूजा
पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि इस साल पौष पुत्रदा एकादशी के दिन शुक्ल पक्ष के बाद दुर्लभ ब्रह्म योग बन रहा है. इस योग का निर्माण सुबह 7.26 बजे से शाम के 7.26 बजे तक हो रहा है. इस योग में पवित्र नदियों में स्नान करने और दान दक्षिणा का विशेष महत्व है. इस योग में भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करने से संतान सुख के साथ ही मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. वहीं, इस दिन साधु संतों को भोजन करवाने और गरीबों को दान देने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.