अलवर जिले में वैसे तो कई मंदिर हैं, जो अपने आप में काफी विशेष महत्व रखते हैं. कई मंदिर इतिहास में दर्ज हैं, तो कई पिछले कुछ सालों में बनाए गए हैं. लेकिन अलवर शहर से करीब 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित प्राचीन बाला किला परिसर में सीताराम जी का मंदिर है, जो कई सालों से यहां पर स्थापित है. यह मंदिर अपने आप में एक खास विशेषता रखता है, क्योंकि इस मंदिर में सीताराम जी के साथ नीलम से निर्मित भगवान राम की प्रतिमा और अलवर रियासत के राजा-महाराजाओं के कुलदेवी भी विराजित हैं.

अब मंदिर के प्रांगण में होती है पूजा
अलवर के इतिहासकार हरिशंकर गोयल ने बताया कि अलवर में स्थित बाला किला एक प्राचीन पुरातत्व पर्यटन स्थल है. इसी के प्रांगण में पिछले कई सालों से सीताराम जी का मंदिर बना हुआ है. पहले के समय मंदिर में विराजित मूर्तियां बाला किला के पिछले हिस्से में रखी हुई थी और वहीं पर पूजा अर्चना की जाती थी. खंडहर होने के बाद इन मूर्तियों को वहां से निकालकर बाला किला के प्रांगण में रखा गया. इस मंदिर में खास बात यह है कि भगवान की प्रतिमाओं के साथ इस मंदिर में राजशाही जमाने के कुलदेवी त्रिपुरा सुंदरी माता की भी मूर्ति श्री यंत्र पर निर्मित की गई हैं, जो की 1100 सालों से भी ज्यादा पुरानी है.

श्री राम जी व सीता माता की प्रतिमा है आकर्षण का केंद्र
मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाले महंत ने बताया कि इस मंदिर में भगवान सीताराम जी, भैरू बाबा की प्रतिमा के साथ विशेष आकर्षण श्री राम जी व सीता माता की प्रतिमा है. इसमें श्री राम जी की प्रतिमा नीलम के पत्थर से निर्मित है, तो वहीं सीता जी की प्रतिमा अष्टधातु से निर्मित है. इनके दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. इसके साथ ही बाला किला आने वाले पर्यटक भी इस मंदिर में मत्था टेंकते हैं.

बाला किला के सीताराम जी मंदिर प्रांगण में पंचमुखी शिवजी की एक छोटी सी प्रतिमा भी विराजित है, जो अपने आप में खास है. इसका कारण है कि सामान्य तौर पर किसी भी मंदिर में पंचमुखी शिवजी विराजित नहीं होते, लेकिन इस मंदिर में भगवान शिव अपने परिवार के साथ विराजित हैं. इस पंचमुखी शिव प्रतिमा की पूजा के लिए भी लोग यहां आते है.