कौन खा गया संबल के चार लाख ?
युवक की मृत्यु के बाद स्वीकृत चार लाख की अनुग्रह सहायता राशि 3 साल में परिजनों तक नहीं पहुंची
विकास बत्रा 9425002223
ख़बरमंत्री न्यूज नेटवर्कबैतूल (घोड़ाडोंगरी) । सरकार अंतिम छोर के व्यक्ति के विकास और खास तौर से आदिवासी क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए अरबों रुपए की धनराशि खर्च कर रही है लेकिन मैदानी अमले में लगी दीमक सरकार द्वारा भेजे जा रहे धन को चट करने में ही लगी है। सरकार द्वारा संवेदनशील होकर लागू की जा रही योजनाओं के चलते शासन की मंशा पर तो कोई संदेह नहीं है लेकिन कुछ कर्मचारियों की हवस के चलते योजनाओं का सही फायदा जनता तक पहुंचने में भारी अड़चनें आती हैं। ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला घोड़ाडोंगरी जनपद क्षेत्र में प्रकाश में आया है। जहां एक आदिवासी युवक चंद्रशेखर वरकडे की मृत्यु के मामले में संबल योजना के तहत 3 साल पूर्व स्वीकृत हुई ₹4 लाख की अनुग्रह सहायता राशि आज दिनांक तक उसके परिजनों तक नहीं पहुंची है।
हैरानी की बात यह है कि यह अनुग्रह सहायता राशि श्रम विभाग द्वारा मृतक चंद्रशेखर वरकडे की मृत्यु के मामले में नामजद स्वीकृत की गई थी। लेकिन फिर भी यह राशि मृतक के परिजनों को ना देकर अन्य कहां व्यय कर दी गई इसका कोई जवाब नहीं है।
गौरतलब है कि धाड़गांव निवासी युवक चंद्रशेखर वरकडे की मृत्यु 24 दिसंबर 2018 को दुर्घटना की वजह से हो गई थी। इस मामले में श्रम विभाग द्वारा मृतक के नामांकित व्यक्ति उसके।पिता किशन वरकडे को अनुग्रह सहायता राशि 4 लाख प्रदान करने का प्रकरण स्वीकृत किया गया था और यह ₹ 4 लाख जनपद घोड़ाडोंगरी के खाते में ट्रांसफर भी कर दिए गए थे। लेकिन इसके बाद से राशि का अता पता नहीं है और और मृतक का नॉमिनी किशन वरकडे आज दिनांक तक अनुग्रह सहायता राशि की बाट जोह रहा है।
मृतक के विकलांग पिता ने कलेक्टर जनसुनवाई में भी की शिकायत : लिखा आ गई भूखे मरने की नौबत
संबल योजना के तहत अनुग्रह सहायता राशि की चार लाख की राशि के गड़बड़झाला के मामले में मृतक के पिता किशन वरकडे ने कलेक्टर जनसुनवाई में भी 18 जनवरी 2022 को शिकायत प्रस्तुत कर सहायता राशि दिलवाने का अनुरोध किया है । मृतक के पिता किशन वरकड़े विकलांग है जो अपनी शिकायत में लिखते हैं कि उनके परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य चंद्रशेखर वरकडे की मृत्यु दुर्घटना से हो गई थी। इसके बाद से उनके परिवार के समक्ष भूखे मरने की नौबत आ गई है। जिले के तेजतर्रार कलेक्टर अमनवीर सिंह बैस ने भी मामले को गंभीरता से लिया है और तुरंत ही इस मामले की जांच कर हितग्राही को उसका हक देने के निर्देश दिए हैं। खबरमंत्री से चर्चा में किशन वरकड़े बताते हैं कि उनके नाम से स्वीकृत सहायता राशि आज तक उन्हें नहीं मिली है और इसके बारे में पूछने पर ग्राम पंचायत एवं जनपद से भी कोई जानकारी नहीं दी गई। ख़बरमंत्री संवाददाता ने इस बारे में जब जनपद सीईओ प्रवीण इवने से पूछा तो उन्होंने कहा कि मामला पुराना है, संज्ञान में आया है। इस मामले की जांच करवा कर हितग्राही को उसका हक दिया जाएगा।