बीजिंग । अब वह ‎दिन गए जब लोग कई साल मेहनत करके पढ़ते हैं, और एक दिन एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी हा‎सिल करके समाज में रुतबा बनाते थे। ले‎किन अब तो ‎बिना ‎दिमाग लगाए काम करने वाली जॉब में ज्याद इंट्रेस्ट देखा जा रहा है। जानकारी के अनुसार चीन में युवा हाई पेयिंग वाइट कॉलर जॉब्स को छोड़कर वेटर और सफाईकर्मी बन रहे हैं। इतना ही नहीं इन युवाओं का कहना है कि ये अपने काम से खुश हैं और अपने जीवन से ज्यादा संतुष्ट महसूस कर रहे हैं। युवा चीन के इंस्टाग्राम ऑल्टरनेट शियांगशू में ‘माय फर्स्ट ‎फि‎जिकल वर्क एक्सपेरेंस’ हैशटैग के साथ इससे जुड़े पोस्ट कर रहे हैं। इस हैशटैग के साथ युवा फोटोज़ और वीडियोज़ पोस्ट कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 12 जून तक इस हैशटैग को 3 करोड़ से ज्यादा व्यूज़ मिल चुके थे। 
गौरतलब है कि दुनियाभर की कई यूनिवर्सिटीज़ में स्टूडेंट्स जब अपनी डिग्री लेने जाते हैं तो वो एक लंबा गाउन पहनकर जाते हैं। इस ट्रेंड को ‘कॉन्ग यिजि के लंबे गाउन को उतारने’ का ट्रेंड भी कहा जा रहा है। क्योंकि इसमें युवा ऐसे जॉब्स को छोड़ रहे हैं जिन्हें इंटेलेक्चुअल्स की जॉब माना जाता है और वो काम कर रहे हैं जिनमें नहीं के बराबर या बिना दिमाग लगाए काम किया जा सकता है। एक कैप्शन में लिखा है, नौकरी छोड़कर युवा अपना फास्ट फूड रेस्टॉरेंट खोल रहे हैं, सफाईकर्मी बन रहे हैं, पेट ग्रूमिंग कर रहे हैं, ये ऐसे जॉब्स हैं जिनमें ज्यादा दिमाग नहीं लगाना पड़ता है। ऐसा करके युवा अपनी जिंदगी को अपने कंट्रोल में लेने की कोशिश कर रहे हैं।
एक महिला ने लिखा है कि वो पहले बाइट डांस में काम करती थीं लेकिन अब उन्होंने जॉब छोड़ दी है। उन्होंने लिखा है कि कंपनी छोड़कर वो बहुत खुश हैं, अब उन्हें रिपोर्ट्स आदि की टेंशन नहीं होती है। वो बस अपने फास्टफूड रेस्टॉरेंट में खाना बनाती हैं और बेचती हैं। वो अपने पोस्ट में लिखती हैं कि अपने रेस्टॉरेंट में वो दिन का 140 डॉलर यानी करीब 11 हजार रुपये कमा लेती हैं। वो लिखती हैं कि उनका शरीर थक जाता है, पर मन खुश होता है।
वहीं, एक और महिला ने लिखा कि उन्होंने कंसल्टिंग की अपनी हाई पेयिंग नौकरी छोड़ दी। नौकरी के साथ-साथ उनका पीछा ईमेल्स, इंटरव्यूज़ और पीपीटी से भी छूट गया। अब वो एक कॉफी शॉप में कॉफी सर्व करने का काम करती हैं, यहां उन्हें जॉब से कई गुना कम सैलरी मिलती है। वो कहती हैं कि उनके पास ग्रेजुएट डिग्री है पर पहली नौकरी से उन्हें सेंस ऑफ फुलफिलमेंट नहीं मिल रहा था। इस तरह से आप समझ सकते हैं ‎कि अगर आपका काम आपको खुशी देता है तो इससे फर्क नहीं पड़ता है कि आप किसी जगह पर कौन सा काम कर रहे हैं।