रायपुर। इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक घोटाले की जांच अब ईडी से करने की मांग उठ रही है। प्रदेश में कोयला परिवहन और शराब घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम का कभी कांग्रेस नेता विरोध करते थे। ईडी की कार्रवाई होने पर कभी कार्यालय का घेराव करते थे, तो कभी जिन नेताओं के घर छापा पड़ता था, उसके सामने हनुमान चालीसा का पाठ करते थे, लेकिन अब समय बदल गया है।

दरअसल, इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह और उनकी सरकार के चार मंत्रियों का नाम सामने आया है। इंदिरा बैक घोटाला संघर्ष समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री कन्हैया अग्रवाल ने घोटाले की जांच ईडी से करने की मांग की है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की जांच कांग्रेस सरकार ने शुरू करवाई है। इस मामले में भ्रष्टाचार की जांच ईडी से करवानी चाहिए, क्योंकि शेल कंपनी बनाकर करोड़ों रुपये की राशि की बंदरबांट की गई है। जिन 16 कंपनियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे, उनका अता-पता नहीं है। क्योंकि कंपनियों ने कागजों में ही फर्जी कंपनी बनाकर लोन लिया था और पैंसों की बंदरबांट की गई। ईडी की जांच में नए तथ्य सामने आ सकते हैं।

जिनके खिलाफ जुर्म उनकी तलाश में जुटी पुलिस

बैंक घोटाले में जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हैं, उनकी तलाश में पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। बैंक घोटाले में तत्कालीन मैनेजर उमेश सिन्हा सहित 18 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हैं, लेकिन इन 17 वर्षों में आरोपितों का पता-ठिकाना बदल चुका है, जिसकी वजह से पुलिस को जांच में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वह आरोपितों तक शीघ्र पहुंचेंगे। फिलहाल पुराने प्रकरण को विशेष टीम के अधिकारी अध्ययन कर रहे हैं।

प्रभावित हितग्राही भी हो रहे एकजुट

इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की जांच फिर से शुरू होने के बाद अब निवेशकों को न्याय की उम्मीद जगी है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के मुताबिक प्रियदर्शिनी बैंक के निवेशकों ने संपर्क साधना शुरू कर दिया है। शीघ्र ही राजधानी में इस पर बड़ी बैठक आयोजित की जाएगी। बैंक में गरीब से लेकर व्यापारी, नौकरीपेशा लोगों के खाते थे, जिनकी राशि घोटाले में डूब गई। 17 वर्ष बाद भी यह राशि वापस नहीं की जा सकी है।